Thursday , 19 June 2025
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‘चोरी’ करने के लिए ‘लीज’ पर दिए जा रहे ‘बच्चे’, जानकर रह जाएंगे हैरान

नई दिल्ली: इन दिनों शादियों को सीजन चल रहा है। शादियों में काम करने वालों की डिमांड भी बढ़ रही है। शादियों के कामों से जुड़े लोग खुश हैं कि उनको काम मिलने लगा है, लेकिन कुछ लोगों के लिए शादी करना भारी पड़ जाता है। शादियों में कीमती सामान पर खतरा मंडरा रहा है। बड़ी बात यह है कि एक ऐसा गिरोह शामिल है, जिसे चोरी करवाने के लिए बच्चे और लड़कों को लीज पर लेता है। मां-बाप खुशी-खुशी अपने बच्चों को चोरी करने के लिए लीज पर दे देते हैं। स्थिति इतनी चिंताजनक है कि दिल्ली पुलिस को इसके लिए बाकायदा एक एडवाजरी जारी करनी पड़ी। पुलिस के मुताबिक, इसमें इनके माता पिता भी शामिल हैं जो अपने बच्चों को ऐसे कामों के लिए श्नीलामश् कर देते हैं।

‘बैंड बाजा बारात’ गिरोह

शादी के सीजन में उत्तर भारत में ‘बैंड बाजा बारात’ गिरोह का हिस्सा बनने के लिए नौ साल से 15 साल की उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा ‘नीलाम’ किया जाता है। ये गिरोह दिल्ली-एनसीआर, लुधियाना और चंडीगढ़ जैसे शहरों में बड़ी शादियों में नकदी और गहने चुराने के लिए इन किशोरों का इस्तेमाल करते हैं। ये बच्चे मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के हैं, जो उत्तर भारत के महानगरों में जाकर शादियों में चोरी को अंजाम देते हैं। पुलिस ने खुलासा किया है कि शादी के सीजन में बैंड में या अन्य काम करने के बहाने ये बच्चे शादी में शामिल हो जाते और चोरी करते हैं।

नौ साल से 15 साल की उम्र के बच्चों को

इस बात को जानकर आपको झटका लग सकता है, बच्चों को खुद उनके माता पिता ही ऐसे कामों के आगे करते हैं और गिरोह का हिस्सा बनने के लिए नौ साल से 15 साल की उम्र के बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा नीलाम किया जाता है। फिर इन बच्चों को ये शातिर गिरोह दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और चंडीगढ़ जैसे शहरों में बड़ी शादियों में गहने चुराने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

बच्चों को लीज पर लेने का भी काम

साथ ही ये बात जानकर हैरानी होगी कि बच्चों को लीज पर लेने का भी काम होता है, जिसकी कीमत सालाना 10 से 12 लाख रुपये है। हाल ही में पुलिस ने एक गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जिनमें दो किशोर भी शामिल थे। जिन्होंने दिल्ली और पंजाब में चोरियां की थीं।

कुछ ही गांवों में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं

डीसीपी क्राइम भीष्म सिंह ने बताया मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के कुछ ही गांवों में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जो बच्चों को चोरी के लिए इस्तेमाल करते हैं। इन बच्चों को नीलामी के बाद प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे नकदी, आभूषणों के बैग और अन्य कीमती सामानों को निशाना बना सकें और उन्हें उठा सकें।

बच्चों को लाने के बाद प्रशिक्षण

आगे उन्होंने बताया कि महानगरों में बच्चों को लाने के बाद प्रशिक्षण में बताया जाता है कि चोरी कैसे करनी है और कार्यक्रम स्थल पर लोगों के साथ कैसे मिलना है। बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार किया जाता है ताकि गिरफ्तारी के बाद अपना मुंह न खोलें।

बेहतरीन कपड़े और खाने-पीने का तरीका

समारोह में शामिल होने के लिए उन्हें बेहतरीन कपड़े और खाने-पीने का तरीका सिखाया जाता है, ताकि किसी को संदेह न हो। गिरोह में वयस्क पुरुष और महिलाएं शामिल हैं, जो आमतौर पर किराए के घरों में रहते हैं और बच्चों को काम पर छोड़ने के बाद बाहर ऑटोरिक्शा और मोटरसाइकिलों में इंतजार करते हैं।

 

story-amarujala.com

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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