पौड़ी : कोरोना वायरस की महामारी से जहां आज पूरा विश्व त्रस्त है। वहीं, चिकित्सा विज्ञान भी इसकी रोकथाम के लिए लगातार प्रयासरत रहने के बावजूद भी कुछ खास ईलाज नहीं ढूंढ पाया है। कोरोना की महामारी से जहां विश्व के वो देश भी नहीं बच पाए जिनकी स्वास्थ्य रैटिंग नम्बर एक या नम्बर दो की थी। ऐसे में भारत के लिए यह चिंतनीय विषय है कि जिसकी स्वास्थ्य रैटिंग सौ से ऊपर है। ऐसे में लाॅक डाउन के बाद इस महामारी को रोकने के लिए उठाए गए कदम जहां कारगर साबित होते नजर आ रहे हैं। वहींं, दूसरी तरफ आम आदमी के सामने दो वक्त की रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।
ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न है कि 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश की आधी आबादी को दो वक्त का खाना कैसे नसीब हो? समाज का हर वह तबका जो सक्षम है आज इस दिशा में शहर हो या गांव, मैदान हो या पहाड़ अपने सामर्थ्य के अनुसार मदद करने के लिए हाथ बड़ा रहा है। और हमारी इस महामारी पर सबसे बड़ी विजय यही है। जो भी आज इस महामारी में राहत कर्मी की भूमिका निभा रहे हैं हमारा फर्ज बनता है उन्हें प्रोत्साहित करने का। जहां शहरों में राहत एवं बचाव कार्य करने आसान हैं वहीं दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में यह एक विकट समस्या बन जाता है। ऐसे में जो भी लोग पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह के जनहित कारी कार्यों में लगें हैं वह सच में काबिले तारीफ है।
मददगारों की ऐसी ही लिस्ट में समाजसेवी कविन्द्र इष्टवाल एक बार फिर जरूरतमंदों के साथ खड़े होकर उन्हें रसद सामग्री, कोरोना महामारी से बचने के लिए सैनिटाईजर्स, ग्लब्स, मास्क बांटकर इस भयावह परिस्थिति में जागरूक करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कोटद्वार, दुगड्डा, गुमखाल, सतपुली, नौगांवखाल, चौबट्टाखाल, संगलाकोटी में जनता की सेवा में लगे प्रशासन, मेडिकल स्टाफ सहित आम लोगों को उक्त सामग्री का वितरण किया। साथ ही उन्होंने आम जनता को इस महामारी से बचाने के लिए भी जागरूक कर सोशल डिस्टेंस के महत्व को भी समझाया।
बताते चलें कि कविन्द्र इष्टवाल समाजसेवी होने के साथ-साथ कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव भी हैं। और उनकी पहचान जनता के बीच एक ऐसे समाजसेवी की है जो हमेशा जनता के सुख-दुख में खड़े रहते हैं। तो आइये, इस महामारी से लड़ने में हम भी अपना योगदान दें और हमसे जो भी हो सके उस जिम्मेदारी को निभा सकें। यदि आप भी आम जन को किसी भी प्रकार का सहयोग करना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें।