देहरादून: भू-कानून का मामला चर्चाओं में है। सोशल मीडिया से शुरू हुआ ये मामला सड़कों तक पहुंच चुका है। भू-कानून की मांग तेजी पकड़ती जा रही है। यह राजनीति मुद्दा भी बनता जा रहा है। इसको लेकर भाजपा, कांग्रेस और आप पूरा जोर लगा रहे हैं। जबकि क्षेत्रीय दल यूकेडी पहले से ही भू-कानून की मांग के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहा है। इस मामले में भाजपा सरकार और सीएम पुष्कर सिंह धामी भी भू-कानून को लेकर गंभरता दिखा रही है, लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र लगातार इसका विरोध कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम पुष्कर सिंह धामी की ओर से भू-कानून को लेकर गठित अधिकारियों की कमेटी पर सवाल उठाये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र भू-कानून की मांग को हवा-हवाई बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई केवल भावनाओं से खेल रहे हैं। सवाल यह है कि पहाड़ में इंडस्ट्री के नाम पर पहाड़ को बेचने की तैयारी है। सोशमल मीडिया में लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र किसे जमीन बेचना चाहते हैं?
इतना ही नहीं त्रिवेंद्र अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। उन्होंने जहां सीएम धामी के फेसले की आलोचना की। वहीं, उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी के फैसले की जमकर सराहना भी की। साथ ही पूर्व सीएम बीसी खंडूरी के फेसले पर भी सवाल खड़े कर दिए। इससे एक बात तो साफ है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र भू-कानून के खिलाफ हैं। वो इसके पीछे विकास की बातें करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या हिमाचल में भू-कानून से सबकुछ बर्बाद हो गया है। हम आज भी हिमाचल से कहीं पीछे हैं।
त्रिवेंद्र ने सोशल मीडिया में वायरल उनके बयान में कहा है कि लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है। जमीनी हकीकत पर जाना पड़ेगा। उनहोंने कहा कि एक तरफ बात होती है कि पहाड़ों से पलायन हो रहा है। वहां पर कोई उद्योग नहीं लग रहे हैं। इंडस्ट्री डेवलप नहीं हो रही है। दूसरी तरफ हम चाहते हैं। वहां इन्वेस्टमेंट चाहिए ही नहीं। आखिर इन्वेस्टमेंट नहीं जायेगा तो फिर रोजगार कैसे? नये-नये रोजगार लोगों को मिलेंगे और इसलिये जो इनका प्रारूप है। उसको सामने रखना चाहिये आखिर वो कैसा भू-कानून चाहते हैं? फिर सवाल वही है कि क्या भू-कानून वाले पड़ोसी राज्य हिमाचल में कोई विकास नहीं हुआ? इंडस्ट्री नहीं लगी?
उन्होंने कहा कि पंडित नारायण दत्त तिवारी जब राज्य के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने 500 मीटर तक कृषि भूमि खरीदने का अधिकार दिया था। जब भुवन चन्द्र खंडूरी राज्य के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इसे घटाकर 250 मीटर कर दिया। आज सरकार ने जब हम ग्लोबल इकोनॉमी की बात करते हैं। इनवेस्टर को आमंत्रित करते हैं और एक देश दूसरे देशों को आमंत्रित करता है। दुनिया के देश आप देखिए जो दुनिया के विकसित देश हैं। वहां की इकोनॉमी में इन्वेस्टमेंट जब बाहर से आया तब वो विकास के चरम तक पहुंच सके।
वो यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि…तो हम क्या चाहते हैं? हम विकास चाहते हैं या हम पहाड़ों को ऐसे ही रहने देना चाहते हैं? वहां पहाड़ों में बंजर खेत हों, वहां पर खेतों में जंगल उग रहे हों, वहां पर जंगली जानवर रह रहे हों। उन्होंने कहा कि अगर माना कि इनके पास कोई ऐसा फार्मूला हो तो वो फार्मूला इनको जनता के सामने रखना चाहिये। ताकि उस पर एक अच्छी सकारात्मक बहस हो सके नहीं तो केवल और केवल यह भावनाओं से खेलने का काम हो रहा है। त्रिवेंद्र के इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लोग राज्य विरोधी बता रहे हैं।