मणिपुर में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राज्य सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है। मणिपुर कैबिनेट ने एक अध्यादेश लाने का फैसला लिया है, जिसके तहत 4 से ज्यादा बच्चे पैदा होने पर परिवार को सरकारी योजनाओं से बाहर कर दिया जाएगा। राज्य के सीएम एन. बीरेन सिंह ने सचिवालय में यह जानकारी दी। कैबिनेट ने मणिपुर स्टेट पॉप्युलेशन कमिशन के संविधान को भी मंजूरी दे दी है।
अब इस संविधान को एक अध्यादेश के जरिए लागू किया जाएगा। कैबिनेट मीटिंग के बाद स्वास्थ्य एवं सूचना मंत्री डॉ. सापम रंजन सिंह ने कहा कि कैबिनेट में इनर लाइन परमिट के मुद्दे पर भी बात हुई है। इसके अलावा फर्जी आधार कार्ड के मसले पर भी बात हुई है।
उन्होंने कहा कि इनर लाइन परमिट को लेकर हालात को देखते हुए गंभीरता से विचार किया गया है। इसके अलावा यह तय किया गया है कि इस मसले पर निगरानी की जाए और जरूरी कदम उठाए जाएं। मणिपुर के मिनिस्टर ने कहा कि इनर लाइन परमिट सिस्टम को मजबूत करने के लिए यह फैसला लिया गया है कि राज्य में आने वाले सभी लोगों को अपने ठहरने का स्थान बताना होगा। इसके अलावा मोबाइल नंबर भी दर्ज कराना होगा, जो आधार कार्ड से लिंक हो।
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इससे पहले इनर लाइन परमिट पास डिप्टी लेबर कमिश्नर की ओर से जारी किया जाता था। अब डिप्टी कमिश्नर की ओर से ही यह पास जारी होगा। राज्य सरकार का आईटी डिपार्टमेंट एक सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है, जिससे मणिपुर आने वाले लोगों की एंट्री और एग्जिट की निगरानी की जाएगी। मणिपुर में इनर लाइन परमिट की शुरुआत 1 जनवरी, 2020 से की जाएगी।
अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम के बाद देश का ऐसा चौथा राज्य है, जहां इनर लाइन परमिट की व्यवस्था लागू हो रही है। इन व्यवस्था में आने वाले राज्यों में एंट्री के लिए देश के दूसरे प्रांतों के लोगों और विदेशी नागरिकों को परमिशन लेनी होती है। मूल निवासियों की आबादी के संतुलन को बनाए रखने और उन्हें अवसर मुहैया कराने के लिए इन राज्यों में यह फैसला लिया गया है।