Sunday , 23 November 2025
Breaking News

लालू प्रसाद यादव की पुत्री रोहिणी आचार्या ने राजनीति से संन्यास का ऐलान, परिवार से दूरी बनाने की घोषणा

पटना।राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पुत्री रोहिणी आचार्या ने राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है।

रोहिणी ने सोशल मीडिया पर लिखा, मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से भी नाता तोड़ रही हूं। यह वही बात है, जो संजय यादव और रमीज़ ने मुझसे कहने को कहा था। मैं हार की पूरी ज़िम्मेदारी ले रही हूं।

तेजस्वी के करीबी संजय यादव को लेकर नाराज़गी

सूत्रों के अनुसार, रोहिणी आचार्या पिछले कुछ समय से तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले राज्यसभा सांसद संजय यादव के हस्तक्षेप व बढ़ते प्रभाव से नाराज़ थीं। 18 सितंबर को भी उन्होंने एक पोस्ट साझा कर संजय यादव पर परोक्ष रूप से निशाना साधा था। साझा पोस्ट में लिखा था कि फ्रंट सीट सदैव शीर्ष नेतृत्व के लिए होती है… और उनकी अनुपस्थिति में भी कोई उस सीट पर नहीं बैठे। रोहिणी ने इस टिप्पणी के माध्यम से इशारा किया था कि “कोई व्यक्ति नेतृत्व से ऊपर उठने की कोशिश कर रहा है।

“मेरे लिए आत्म-सम्मान सर्वोपरि है” — रोहिणी

अपने पिता लालू प्रसाद यादव को किडनी दान करने की तस्वीर व वीडियो शेयर करते हुए रोहिणी ने लिखा कि “जो जान हथेली पर रखकर चलती हैं, बेखौफी और खुद्दारी उनके लहू में बहती है। मैंने बेटी और बहन के नाते अपना धर्म निभाया है। मुझे किसी पद की लालसा नहीं। मेरे लिए आत्म-सम्मान सबसे ऊपर है।

उनकी ये पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। समर्थकों ने लिखा, “बिहार एक बेटी की यह कुर्बानी नहीं भूलेगा।” एक अन्य ने याद दिलाया—आपने अपनी किडनी देकर अपने पिता को जीवनदान दिया, यह अमूल्य है।

राजद की सफाई: “पार्टी में कोई भ्रम नहीं”

रोहिणी के बयान के बाद राजद सांसद संजय यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रोहिणी दीदी ने जो भी कहा, उसका संदर्भ हम समझते हैं। पार्टी एकजुट है और किसी प्रकार का कोई मतभेद या भ्रम नहीं है। राजद की ओर से साफ किया गया है कि पार्टी के अंदर किसी तरह की खाई नहीं है, और सभी नेता एकजुट होकर काम कर रहे हैं।

राजनीतिक गलियारों में हलचल

रोहिणी आचार्या का अचानक राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने का फैसला कई सवाल खड़े करता है। क्या यह सिर्फ भावनात्मक प्रतिक्रिया है? क्या राजद के अंदरूनी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं?या फिर यह आने वाले समय की किसी बड़ी राजनीतिक उठापटक का संकेत है? राजनीतिक विश्लेषकों की नज़रें अब सीधे पटना की ओर टिक गई हैं।

अगर चाहो तो मैं इस खबर का डिजिटल SEO वर्जन, वीडियो स्क्रिप्ट, या सोशल मीडिया के लिए संक्षिप्त बुलेटपोस्ट भी बना सकता हूँ।

About AdminIndia

Check Also

गीता प्रसाद गैरोला बने नरेंद्र मोदी विचार मंच के कालिंदी मंडल अध्यक्ष

उत्तरकाशी/नौगांव: नरेंद्र मोदी विचार मंच उत्तराखंड प्रदेश ने यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र के नौगांव ब्लॉक खरादी …

error: Content is protected !!