उत्तर प्रदेश: होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट्स और रेहड़ी-ठेली वालों के लिए पहचान बताना अनिवार्य करने के बाद कई तरह के साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। कहीं ढाबे और रेस्टोरेंटों में काम करने वालों को काम से हटाया जा रहा है, तो कहीं ढाबा मालिकों ने अपना ढाबा ही किसी और को किराए पर दे दिया है। सारे कर्मचारी भी बदल दिए।
ढाबा संचालक बदल रहे नाम
ऐसे मामले खतौली और उसके आसपास के क्षेत्र में सामने आए हैं। खतौली के ढाबा संचालक गुलजार ने किसी भी परेशानी से बचाव के लिए दस दिन के लिए संचालन की जिम्मेदारी मथेडी के लक्ष्मण सिंह को दी है। ढाबे पर कारीगरों की पहचान चस्पा कर दी गई है।
ढाबा किराए पर दिया
कांवड़ मार्ग पर मुस्लिम अस्मंजस में हैं। किसी ने ढाबा किराए पर दिया और कुछ ने यह तय कर लिया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबा पूरी तरह से बंद रखेंगे। कुछ अब भी वेट-एंड-वॉच की स्थिति में हैं। वो फिलहाल इंतजार कर रहे हैं।
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मुस्लिम समाज का कोई कर्मचारी नहीं
सरधन के लोकेश कुमार के साक्षी टूरिस्ट ढाबे को अब तक आसिफ चला रहा था। लेकिन प्रकरण के तूल पकड़ते अब लोकेश खुद बैठ रहा है। ढाबे पर मुस्लिम समाज का कोई कर्मचारी नहीं है।
ढाबा छोडकर चला गया
शिवा टूरिस्ट पंजाबी ढाबा के मालिक विश्वजीत चौधरी ने बताया कि उनका ढाबा गांव मुझेडा निवासी मोहम्मद इनाम संचालित कर रहा था। वह ढाबा छोडकर चला गया है।