Monday , 16 June 2025
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‘उरी’ में ‘2016’ दोहराना चाहते थे आतंकी!, पिछले 72 घंटे से चल रहा बड़ा सर्च ऑपरेशन

कश्मीर : ‘उरी’ के ब्रिगेड मुख्यालय पर 2016 में आतंकियों ने हमला किया था। आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ ने उस हमले की जिम्मेदारी ली थी। भारत ने उस हमले का जवाब नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान जाकर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से दिया था। कमांडो दस्ते ने पाकिस्तान के आतंकी लॉन्चिंग पैड को खत्म कर दिया था। अब पिछले 72 घंटे से उरी सेक्टर में बड़ा सर्च ऑपरेशन चल रहा है।

फोन जाम कर दिए गए हैं। इंटरनेट भी बंद है। सूत्रों का कहना है कि आतंकी दोबारा से ‘उरी’ में ‘2016’ दोहराना चाहते थे। पाकिस्तान की तरफ से हुई ‘घुसपैठ’ में करीब छह आतंकी शामिल बताए जा रहे हैं। सेना के कमांडो ने आतंकियों पर फायरिंग भी की है। हालांकि सेना की तरफ से अभी आधिकारिक तौर पर आतंकियों की संख्या का खुलासा नहीं किया गया है।

2016 में आतंकियों ने उरी सेक्टर के ब्रिगेड मुख्यालय पर 18 सितंबर को आत्मघाती हमला किया था। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने इस बार भी ’18 सितंबर’ की तिथि को ध्यान में रखकर घुसपैठ का प्रयास किया है। आतंकियों का पता शनिवार रात को लगा था। सेना ने सारे इलाके की घेराबंदी कर सर्च ऑपरेशन शुरु कर दिया है।

15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने कहा कि उरी में सर्च ऑपरेशन चल रहा है। घुसपैठ की कोशिश हुई है। आतंकियों की तलाश चल रही है। ये पता लगाया जा रहा है कि सभी आतंकी वापस सीमा पार चले गए हैं या उनका कोई साथी भारतीय सीमा में छिपा है।

सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों और सेना के बीच गोलीबारी हुई है। एक जवान के घायल होने की बात कही जा रही है, लेकिन इस बाबत सेना की तरफ पुष्टि नहीं की गई है। आतंकियों के पास केवल पिस्टल या एके 47 जैसे हथियार नहीं थे, बल्कि वे रॉकेट लॉन्चर भी साथ लिए हुए थे।

कश्मीर घाटी में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं बाधित कर सर्च ऑपरेशन शुरु करना, इसके बड़े मायने हैं। सुरक्षा मामलों के जानकार कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) बताते हैं, अतीत में सुरक्षा बलों की टीम किसी ऐसे ठिकाने पर हमला करती थी, जहां आतंकी छिपे रहते थे तो वहां आतंकियों के मददगार ‘ऑपरेशन’ को बाधित करने का प्रयास करते थे।

घाटी में कई बड़े ऑपरेशनों के दौरान सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके गए हैं। इस तरह के सर्च ऑपरेशन के दौरान मोबाइल फोन एवं इंटरनेट बंद करने से आतंकियों के लोकल हैंडलर, जिनमें अंडर ग्राउंड और ओवर ग्राउंड वर्कर शामिल हैं, उन्हें सक्रिय होने का मौका नहीं मिल पाता। आतंकियों और उनके मददगारों का संपर्क टूट जाता है।

हालांकि पाकिस्तान ने अपनी सीमा में बॉर्डर पर ऐसे मोबाइल टावर लगा रखे हैं, जिनके माध्यम से वहां का सिमकार्ड भारतीय सीमा में चलता है। पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ करने वाले आतंकी, उसी सिमकार्ड के जरिए अपने आकाओं से बात करते हैं। अगर भारतीय सीमा में जैमर लगाया जाता है तो वे लोकल हैंडलर के साथ संपर्क नहीं कर पाते। पाकिस्तान में तो बात कर सकते हैं।

मगर घाटी में किसी को फोन नहीं लगा पाते। ऑपरेशन की सफलता के लिए यह एक जरुरी कदम होता है। सेना उरी के चप्पे चप्पे को खंगाला रही है। सूत्रों के मुताबिक, फायरिंग के बाद चार आतंकी वापस पाकिस्तान सीमा में प्रवेश कर गए हैं। बाकी दो आतंकियों की तलाश जारी है। जिस तरह के साजो सामान से आतंकी लैस थे, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देना चाहते थे।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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