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जिला प्रशासन ने एक ही झटके में दिलाया रोजगार और उच्च शिक्षा का वादा।
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मुख्यमंत्री के संकल्प “शिक्षित बेटियां– सशक्त समाज” को साकार कर रहा देहरादून प्रशासन।
देहरादून :पिता का साया चार साल पहले उठ जाने और परिवार की बदहाल आर्थिक स्थिति के बावजूद हार न मानने वाली चन्द्रबनी निवासी प्रियंका कुकरेती की जिंदगी में अब उम्मीद की नई किरण जगी है। जिलाधिकारी सविन बंसल के संवेदनशील हस्तक्षेप से प्रियंका को एक प्रतिष्ठित निजी शैक्षणिक संस्थान में लैब ऑफिसर की नौकरी मिल गई है और अब उसी संस्थान में एमटेक (कंप्यूटर साइंस) में दाखिला भी तय हो गया है।
गत माह अक्टूबर में प्रियंका अपनी मां के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची थीं। उन्होंने बताया था कि 2021 में पिता का देहांत हो गया, भाई दिव्यांग है और घर चलाना मुश्किल हो रहा है। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही थी। जिलाधिकारी ने तुरंत रेड क्रॉस फंड से 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी और उनकी योग्यता को देखते हुए एक प्रतिष्ठित निजी संस्थान में लैब ऑफिसर के पद पर नियुक्ति दिलवा दी।
रविवार को प्रियंका अपनी मां के साथ एक बार फिर कलेक्ट्रेट पहुंचीं। उन्होंने जिलाधिकारी का आभार प्रकट किया। जिलाधिकारी सविन बंसल ने उनसे पूछा, “क्या नौकरी के साथ-साथ आगे पढ़ाई भी जारी रखना चाहती हो?” प्रियंका ने हां कहा तो डीएम साहब ने तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रियंका का एमटेक में दाखिला उसी संस्थान में सुनिश्चित किया जाए। फीस, किताबें और अन्य खर्च जिला प्रशासन और संस्थान मिलकर वहन करेंगे। अगले सत्र से प्रियंका स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी शुरू कर सकेंगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि “प्रतिभाशाली बेटियों के कदम कभी रुकने नहीं देंगे। चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ हों, उनकी शिक्षा और रोजगार के लिए प्रशासन हरसंभव मदद करेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संकल्प “शिक्षित बेटियां, सशक्त समाज” को देहरादून जिला प्रशासन लगातार चरितार्थ कर रहा है।
आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रही बेटियों को फिर से मुख्यधारा में लाने के लिए “नंदा-सुनंदा योजना” के तहत अब तक लगभग 32 लाख रुपये की सहायता से 90 बालिकाओं की शिक्षा पुनर्जीवित की जा चुकी है। प्रियंका कुकरेती का मामला इसी सिलसिले की ताज़ा मिसाल है।
माँ की आंखों में खुशी के आंसू थे। प्रियंका ने कहा, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन में नौकरी भी मिल जाएगी और एमटेक का सपना भी पूरा हो जाएगा। जिलाधिकारी सर और उनकी पूरी टीम की मैं जीवन भर शुक्रगुज़ार रहूँगी।”
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