Friday , 14 March 2025
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धामी सरकार की नई आवास नीति: गरीबों का आशियाना बनाने के लिए बड़ी राहत, सब्सिडी और छूट से होगा सपना साकार

Dehradun : उत्तराखंड सरकार ने गरीबों के घर के सपने को हकीकत में बदलने के लिए अपनी नई आवास नीति में कई अहम बदलाव किए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में बनी इस नीति के तहत ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए आवास निर्माण में भारी अनुदान और छूट का ऐलान किया गया है। सरकार ने न केवल मकान निर्माण के लिए सब्सिडी देने की घोषणा की है, बल्कि स्टाम्प ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क और बैंक लोन से जुड़े नियमों को भी आसान बना दिया है।

ईडब्ल्यूएस श्रेणी में घर बनाने पर मिलेगी सब्सिडी

नई नीति के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बनने वाले नौ लाख रुपये तक के घरों पर राज्य और केंद्र सरकार की ओर से 3.5 से 4.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। लाभार्थी को केवल 4.5 से 5.5 लाख रुपये ही खर्च करने होंगे, जिसे बैंक लोन के जरिए आसान किस्तों में चुकाने की सुविधा दी गई है।

मैदानी क्षेत्रों में घर बनाने पर मिलेगी ये सुविधाएं

ईडब्ल्यूएस आवास के लिए मैदानी क्षेत्रों में प्रति घर अधिकतम नौ लाख रुपये की लागत तय की गई है। इसमें 5.5 लाख रुपये लाभार्थी को वहन करने होंगे, जबकि सरकार की ओर से दो लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार देगी और 1.5 लाख रुपये केंद्र सरकार वहन करेगी। आवास निर्माण करने वाले को या तो नौ लाख रुपये मिलेंगे या 30 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर, जो भी अधिक होगा।

पर्वतीय क्षेत्रों के लिए बाखली शैली को बढ़ावा

उत्तराखंड सरकार ने पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक ‘बाखली’ शैली के घर बनाने पर और अधिक रियायत देने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के नौ लाख रुपये तक के घरों में लाभार्थी को केवल 4.5 लाख रुपये ही देने होंगे। राज्य सरकार की ओर से तीन लाख रुपये और केंद्र सरकार की ओर से 1.5 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इस योजना में आधी लागत सरकार उठाएगी, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में घर बनाने का सपना साकार हो सकेगा।

स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में भारी छूट

पहले घर खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क मिलाकर कुल आठ प्रतिशत तक का खर्च आता था। अब सरकार ने इस शुल्क में भारी छूट दी है—

  • ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए स्टाम्प शुल्क केवल 1000 रुपये होगा।
  • एलआईजी (लोअर इनकम ग्रुप) के लिए 5000 रुपये और एलएमआईजी (लोअर मिडिल इनकम ग्रुप) के लिए 10,000 रुपये तय किए गए हैं।
  • 10 लाख रुपये के घर पर पहले 80,000 रुपये स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क के रूप में देने होते थे, लेकिन अब यह सिर्फ 1500 रुपये (500 रुपये पंजीकरण सहित) में ही पूरा हो जाएगा।
  • बैंक से लोन लेने पर 0.5% स्टाम्प ड्यूटी जो लगती थी, उसे पूरी तरह से हटा दिया गया है। इससे 10 लाख के आवास पर 5000 रुपये और बचेंगे।

ईडब्ल्यूएस आवास निर्माण में अन्य छूटें

  • भू-उपयोग परिवर्तन 10,000 वर्ग मीटर तक प्राधिकरण स्तर से केवल तीन माह में होगा।
  • नक्शा पास कराने का शुल्क ईडब्ल्यूएस के लिए पूरी तरह माफ किया गया है।
  • बिल्डरों को छूट—जमीन खरीदने पर अलग से स्टाम्प ड्यूटी में रियायत दी जाएगी।
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की लागत सरकार वहन करेगी।
  • कॉमर्शियल फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर)—मैदानी क्षेत्र में 25% और पर्वतीय क्षेत्र में 30% तक तय किया गया है।
  • बैंक लोन पर ब्याज—सरकार ब्याज की प्रतिपूर्ति करेगी।

अब मैदानों में ऊंची इमारतें बन सकेंगी

पहले मैदानी इलाकों में ईडब्ल्यूएस आवास केवल चार मंजिला बनाए जा सकते थे, जिनमें लिफ्ट की सुविधा नहीं थी। अब नई नीति के तहत आठ मंजिला या अधिकतम 30 मीटर ऊंची इमारतों के निर्माण की अनुमति दी गई है। साथ ही, इसमें लिफ्ट लगाने की अनिवार्यता होगी, जिसका रखरखाव बिल्डर को 10 वर्षों तक करना होगा।

सरकार का मकसद—हर गरीब को घर

इस नई आवास नीति के जरिए उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य राज्य में गरीबों को कम लागत पर घर उपलब्ध कराना है। मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सुविधाएं देकर सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि हर तबके को अपने घर का सपना पूरा करने में मदद मिल सके। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह योजना गरीबों को उनके घर का मालिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और सरकार इसे सफल बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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