Thursday , 31 July 2025
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पीपीपी मोड पर संचालित शहरी अस्पतालों पर जिला प्रशासन का शिकंजा: 12 केंद्रों पर छापे, 5 लाख का प्रारंभिक जुर्माना, टर्मिनेशन की सिफारिश

देहरादून। देहरादून में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर चल रहे 12 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) में व्यापक अव्यवस्थाओं और अनियमितताओं को लेकर आज जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में चार प्रशासनिक टीमों ने तड़के ही इन केंद्रों पर सुनियोजित छापे मारे, जिसमें डॉक्टरों की अनुपस्थिति, कर्मचारियों की ‘भूतिया एंट्री’, दवाओं की कमी और खराब स्वच्छता जैसी गंभीर खामियां सामने आईं।

औचक निरीक्षण में सामने आईं चौंकाने वाली अनियमितताएं

जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर आज सुबह 9 बजे से ही जिलाधिकारी सहित मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, एसडीएम हरी गिरी, और एसडीएम अपूर्वा सिंह ने अलग-अलग स्थानों पर इन पीपीपी केंद्रों का औचक निरीक्षण शुरू किया। इस अचानक हुई छापेमारी से शहरी पीएचसी में हड़कंप मच गया।

निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाली अनियमितताएं सामने आईं:

डॉक्टर नदारद: अधिकांश केंद्रों पर चिकित्सक अनुपस्थित पाए गए।

‘भूतिया’ उपस्थिति: एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ), लैब टेक्नीशियन (LT), और नर्सों की उपस्थिति रजिस्टर में ऐसी प्रविष्टियां मिलीं जो वास्तविक नहीं थीं, जिससे ‘भूतिया एंट्री’ का संदेह पैदा हुआ।

दवाओं की कमी: केंद्रों पर आवश्यक दवाएं आधी या उससे भी कम मात्रा में उपलब्ध थीं।

खराब स्वच्छता और सुरक्षा: सफाई और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से भगवान भरोसे थी। शौचालयों में गंदगी मिली, और पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं थी।

अनुपस्थित जनरेटर सेट: बच्चों और महिलाओं के टीकाकरण के लिए कोल्ड चेन निरंतरता हेतु अनिवार्य जनरेटर सेट अनुपस्थित पाए गए, जिससे दवाओं के खराब होने का खतरा बना हुआ था।

अधूरी सुविधाएं: मरीजों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं थी, और कई केंद्र ‘काल कोठरी’ जैसी स्थिति में संचालित किए जा रहे थे, जिनमें पर्याप्त स्थान और उपकरण नहीं थे।

अक्षांश/चित्रांश जेवीके प्रा. लि. पर कार्रवाई

इन गंभीर अनियमितताओं के मद्देनजर, जिलाधिकारी ने अक्षांश/चित्रांश जेवीके प्रा. लि. पर 5 लाख रुपये का प्रारंभिक अर्थदंड लगाया है। साथ ही, फर्म के अनुबंध को समाप्त (टर्मिनेट) करने की सिफारिश मुख्य सचिव को भेजी गई है। एमओयू (समझौता ज्ञापन) की समीक्षा की जा रही है, और इस पर भारी भरकम अर्थदंड की कार्रवाई संभव है।

अलग-अलग केंद्रों का निरीक्षण और खामियां

जिलाधिकारी सविन बंसल:

उन्होंने अर्बन पीएचसी जाखन और गांधीग्राम का निरीक्षण किया। इन केंद्रों पर मानक के अनुरूप स्टाफ, चिकित्सक, नर्स, एएनएम की कमी पाई गई। इसके अलावा, पर्याप्त दवा, सफाई, उपकरण, मरीजों और तीमारदारों के लिए बैठने की व्यवस्था, पेयजल आदि की भी कमी थी। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आवश्यक निर्देश दिए और स्टाफ की 3 माह की बायोमेट्रिक उपस्थिति का विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए। गांधीग्राम पीएचसी में वॉशबेसिन में पानी न होने और पेयजल के लिए आरओ न पाए जाने पर भी नाराजगी व्यक्त की गई।

मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह:

सीडीओ ने चूना भट्टा, अधोईवाला और कारगी में पीपीपी पर संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण किया।

अधोईवाला पीएचसी: यहां चिकित्सक, 04 एएनएम, लैब टेक्नीशियन और अस्पताल प्रबंधक गायब मिले। पीएचसी मात्र एक एएनएम और वार्ड आया के भरोसे चल रहा था। टीकाकरण, वेलनेस, ओपीडी पंजीकरण और आपातकालीन सेवाओं की जांच करने पर रेफर मरीजों का रजिस्टर भी मेंटेन नहीं मिला। बायो मेडिकल वेस्ट को सामान्य वेस्ट के साथ ही डिस्पोज किया जा रहा था।

चूना भट्टा पीएचसी: मेडिकल स्टॉक में खामियां मिलीं। ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर तो रखे थे, लेकिन किसी भी स्टाफ को उन्हें चलाना नहीं आता था। इनवर्टर में सिंगल बैटरी लगी होने से लाइट जाने पर फ्रिज में रखी दवाएं खराब होने का खतरा था। आरओ खराब था और दीवारों पर मकड़ी के जाले व गंदगी मिली।

उप जिलाधिकारी सदर (हरी गिरी):

रीठामंडी, बकरालवाला, खुड़बुड़ा, सीमाद्वार में स्थित पीएचसी का निरीक्षण किया।

डिप्टी कलेक्टर मुख्यालय (अपूर्वा सिंह):

दीपनगर, माजरा, बीएस कॉलोनी में स्थित पीएचसी का निरीक्षण किया।

शिकायतों के बाद हुई कार्रवाई

जिलाधिकारी को जनमानस और विभिन्न माध्यमों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि पीपीपी मोड पर संचालित अस्पतालों में अनुबंध के अनुसार स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, नर्सेज़ पर्याप्त नहीं हैं, दवा वितरण में खामियां हैं, और बाहर से दवाएं लिखी जा रही हैं। इसके अलावा, पीएचसी के मानकों के अनुसार पर्याप्त स्थान न होने, पैथोलॉजी लैब में जितनी जांच दर्शाई गई हैं, वे न होने और बेहद खराब सफाई व्यवस्था जैसी शिकायतें भी प्राप्त हो रही थीं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर यह बड़ी कार्रवाई की गई है।

इस कार्रवाई से पीपीपी मोड पर चल रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हड़कंप मच गया है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि एमओयू मानकों का पालन न करने वाली फर्मों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित की जाएंगी।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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