Wednesday , 18 June 2025
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उत्तराखंड : किसकी जेब में गए 872 करोड़, आखिर क्यों पसरा है सन्नाटा?

पांचवीं विधानसभा के पहले सत्र में पास कराए गए 4 माह के लेखानुदान के अवाला एक और बड़ी बात भी सामने आई, जिसका कहीं कोई शोर तक नहीं सुनाई दिया। हल्ला क्यों नहीं हुआ, किसी को कुछ नहीं पता? ठीक वैसे ही जैसे 872 करोड़ कहां खर्च हुए, किसी को कुछ पता ही नहीं? बस यूं समझ लीजिए खर्च हो गए। खर्च हुए या किसी के जेब में गए, यह सब जांच के बाद ही साफ हो पाएगा।

जांच की बात भी उतनी ही साफ है, जितनी साफ ऊपर वाली दो बातें हैं। होगी भी या नहीं। अगर होगी तो सच सामने आयेगा भी या नहीं? नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। लेकिन, सवाल यह है कि कैग भी केवल आपत्ति ही जता सकता है। भाजपा की पिछली सरकार में तीन मुख्यमंत्री रहे। एक साढ़े चार साल, दूसरा एक-डेढ़ महीने और तीसरे सीएम कुल जमा छ महीने ही सरकार में रहे। यह बात अलग है कि एक बार फिर पुष्कर सिंह धामी को ही कमान सौंपी गई है। वो इस रिपोर्ट पर कुछ करेंगे या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। करते भी हैं या नहीं?

एक और बड़ा सवाल यह है कि जनता के ठुकराने के बाद भी कांग्रेस ठिकाने पर नहीं है। कैग रिपोर्ट में इतना बड़ा खुलासा हुआ पर किसी भी नेता ने कुछ नहीं कहा। यह ऐसा मामला है, जिसे विपक्ष को वास्तव में उठाना चाहिए। सवाल यह है कि क्या विपक्ष सच में है भी या सब पक्ष में ही खड़े हैं। सवाल गंभीर हैं और मामले भी गंभीर है। जिन कामों का पता ही नहीं, आखिर उनके लिए बजट कैसे जारी हुआ और वो बजट कौन खा गया?

कैग् ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2020-21के दौरान 764 करोड़ रुपये की योजनाओं से संबंधित उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किए। कैग की रिपोर्ट के अनुसार यह पहला मौका नहीं है, जब सरकारी विभागों ने योजनाओं के बजट खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018- 19 के दौरान तीन योजनाओं के लिए दिए गए तीन करोड़ 46 लाख, वर्ष 2019-20 के दौरान आठ योजनाओं के लिए मंजूर 20 करोड़ 82 लाख और 2020-21 के लिए 108 योजनाओं के 846 करोड़ 37 लाख रुपये के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।

इतना ही नहीं राज्य की सरकारों ने पिछले 17 सालों में विधानमंडल की मंजूरी के बिना ही 42 हजार 873 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। विभिन्न अनुदानों और विनियोग के तहत खर्च की गई इस राशि को विधानसभा से मंजूर कराया जाना जरूरी था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया।

यह सीधेतौर पर संविधान के अनुच्छेद 204 और 205 का उल्लंघन माना है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को साफतौर पर लिखा भी है। कैग के अनुसार इस राशि में से 4884 करोड़ की राशि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान खर्च की गई। सबसे बड़ा सवाल पंचायती राज विभाग पर है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार पंचायती राज विभाग ने 650 करोड़ के खर्च के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए। शहरी विकास विभाग ने 195 करोड़ के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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