Friday , 14 March 2025
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उत्तराखंड : प्रोजेक्ट की आड़ में बड़ा खेल, 163 को काटने के थी परमीशन, काट डाले हजारों पेड़

देहरादून: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व PM मोदी के आने के बाद से जितना चर्चाओं में आया। उतना ही विवादों में भी घिर गया है। कॉर्बेट पार्क के भीतर एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया, जिसको अधिकारियों ने PM मोदी को ड्रीम प्रोजेक्ट बताया। लेकिन, जब इसको लेकर गड़बड़ी की बात सामने आई तो जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुआ। ऐसे खुलासे कि अधिकारियों की कुर्सियां तक छिन गई। अब एक और बड़ा खुलासा हुआ है, जिसके बाद एक बार फिर बवाल मचा हुआ है।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के तहत पाखरो रेंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बताए जा रहे टाइगर सफारी के निर्माण के लिए 163 की जगह 6093 हरे पेड़ काट दिए गए। भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग (FSI) की सर्वे रिपोर्ट में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। टाइगर सफारी निर्माण में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं।

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FSI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में पाया है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कालागढ़ वन प्रभाग की पाखरो रेंज में करीब 16.21 हेक्टेयर वन भूमि पर 6093 पेड़ों का सफाया कर दिया गया। इस मामले में अधिवक्ता और वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता गौरव कुमार बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, साथ ही इसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के समक्ष भी उठाया था। तत्कालीन पीसीसीएफ (हॉफ) राजीव भरतरी ने FSI को पत्र लिखकर सर्वे का अनुरोध किया था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार FSI की ओर से एक सप्ताह पूर्व ही यह रिपोर्ट वन मुख्यालय को सौंप दी गई थी, लेकिन वन मुख्यालय की ओर से अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) विनोद कुमार सिंघल ने बताया कि रिपोर्ट का प्रारंभिक परीक्षण करने पर इसमें कई ऐसे तकनीकी बिंदु सामने आ रहे हैं, जिनका निराकरण इस रिपोर्ट को स्वीकार किए जाने से पहले किया जाना जरूरी है। काटे गए पेड़ों की संख्या का निर्धारण करने में अपनाई गई तकनीक और इसके लिए की गई सैंपलिंग की विधि में गंभीर और महत्वपूर्ण प्रश्न हैं। एसएफआई से अतिरिक्त जानकारी मांगी गई है।

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13-14 जून 2022 को तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) राजीव भरतरी ने प्रस्तावित टाइगर सफारी (Tiger safari ) निर्माण से पहले मौके का निरीक्षण किया था। उस दौरान क्षेत्र में घना जंगल खड़ा पाया गया था। तब निदेशक कॉर्बेट पार्क ने बताया था कि टाइगर सफारी निर्माण के लिए मात्र 40 पेड़ों को काटने की आवश्यकता होगी। इस पर बाद में भरतरी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि यह कथन अविश्वसनीय प्रतीत होता है।

भरतरी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि प्रथम दृष्टया यह स्थल टाइगर सफारी की स्थापना के लिए उचित नहीं है। इस क्षेत्र में बाघों का आवागमन होता है। NTCA की टाइगर सफारी गाइड लाइन के अनुसार ऐसे क्षेत्रों को टाइगर सफारी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। इससे बाघ के वास स्थल को क्षति पहुंच सकती है और बड़ी संख्या में पेड़ों का कटान होगा।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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