देहरादून: कांग्रेस लगातार जनहित के मुद्दे उठा रही है। पिछले दिनों कांजी हाउस में गायों के मरने का मामला सामने लाया था। अब कोरोना काल के दौरान हुए सरकारी राशन घोटाले का खुलासा किया है। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में बड़ा खुलासा करते हुए देहरादून के मोहित नगर की पार्षद अमिता सिंह पर गंभीर आरोप लगाये। दसौनी ने बताया कि 2020 के दौरान भारत ट्रेडर्स द्वारा सैम टेक्नोलॉजी को सब लेड किया गया था और फ्री राशन किट बांटने का अनुबंध किया।
उन्होंने कहा कि इस फ्री राशन किट के वितरण में बड़ा झोल निकल कर सामने आया है। दसौनी के अनुसार भाजपा पार्षद अमिता सिंह ने प्रेम नगर की राशन विक्रेता नीलम त्यागी से मुलाकात कर एक अज्ञात व्यक्ति को अपने पुत्र के रूप में मिलवाया। नीलम त्यागी को दस हजार राशन किट का ऑर्डर कॉन्ट्रैक्ट के रूप में दिया गया, जिसकी कीमत ₹650 प्रति किट थी।
दसौनी ने जानकारी देते हुए कहा की नीलम त्यागी से कहा गया कि उन्हें भुगतान ₹950 प्रती किट के हिसाब से होगा और कीमत में जो ₹300 का अंतर प्रति किट आएगा, उसे नीलम त्यागी को पार्षद अमिता सिंह को वापस लौटाना होगा ।
अमिता सिंह यहीं, नहीं रुकी उन्होंने नीलम त्यागी को ऑर्डर सिर्फ 10000 किट बनाने का दिया और संज्ञान में यह भी आया है कि प्रदेश भर के 3, 25000 किट का टेंडर भारत सरकार द्वारा भारत ट्रेडर्स को दिया गया था।
दसौनी ने कहा कि यह बड़ा घोटाला है, जिसको यदि गुणा भाग किया जाए तो कीमत करोड़ों में निकलती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि एक तरफ तो इस योजना को भाजपा की ही पार्षद ने बट्टा लगाने का अपराध किया, वहीं दूसरी ओर गरीब की थाली से भोजन छीनने का अमानवीय कृत्य भी किया गया है ।
दसौनी ने कहा की जितना पैसा अमिता सिंह ने इस फ्री राशन योजना से कमा लिया उतने में कई गरीब परिवार पाले जा सकते थे। और तो और यह भी संज्ञान में आया है कि नीलम त्यागी को राशन किट का पूर्ण भुगतान नहीं किया गया है।
दसौनी ने कहा कि इस पूरे घोटाले का संज्ञान यदि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और नगर निगम देहरादून के महापौर सुनील उनियाल गामा नहीं लेते हैं और अपनी भ्रष्टाचारी पार्षद पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं तो यही समझा जाएगा कि भाजपा राज में आंखों देखी मक्खी को निगला जा रहा है।
दसौनी ने तत्काल प्रभाव से न सिर्फ अमिता सिंह को इतना बड़ा घपला करने के एवज में दंड देने की मांग उठाई है और पार्षद पद की गरिमा को गिराने के लिए आपदा को अवसर बनाने के लिए उन्हें तुरंत पार्षद पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए। दसौनी ने कहा कि अमिता सिंह जैसी महिलाएं जनप्रतिनिधियों के नाम पर एक बदनुमा धब्बा है जो जनता के हित करने की बजाय सरकारी योजनाओं से अपना हित तलाशती हैं। ऐसे में उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं।