हरक सिंह रावत। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक की राजनीति में एक बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं। हरक सिंह को शेर-ए-गढ़वाल भी कहा जाता है। हरक ऐसे नेता के रूप में जाने जातें हैं, जो हर बार अपनी विधानसभा सीट बदलते हैं और जिस सीट से भी चुनाव लड़ते हैं, जीत हासिल करते हैं। हरक दल बदल की राजनीति के भी माहिर खिलाड़ी रहे हैं। हरक बयानों के भी उस्ताद हैं। बयानों से कैसे पलटा जाता है, हरक से बेहतर कोई नहीं जानता। इन सबसे अलग जो एक और खास बात है, वो यह है कि हरक हमेशा से ही विवादों में रहे हैं। हरक और विवादों का गहरा नाता रहा है…। जहां-जहां हरक जाते हैं, विवाद उनका पीछा करते हुए पहुंच जाते हैं।
हरक सिंह रावत के राजनीति जीवन में कई प्रकरण जुड़े हैं। दल बदल के खेल में माहिर हरक सिंह रावत अपने बयानों से भी अक्सर चर्चाओं में रहे। हरक जिस भी पार्टी में गए। विवाद उनके साथ-साथ चलते गए। हरक हमेशा से अपनी दबाव और हनक की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। राजनीति के हरफन में माहिर हरक सिंह रावत के साथ सबसे पहले जैनी प्रकरण जुड़ा। जैनी प्रकरण से हरक चर्चाओं में आए थे।
2003 में एनडी तिवारी सरकार में हरक सिंह जैनी प्रकरण में ऐसे घिरे कि उनको अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी। जैनी नाम की महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था। जैनी का आरोप था कि हरक सिंह रावत उसके बच्चे का पिता है। मामले में डीएनए टेस्ट भी कराया गया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी सामने नहीं आई। मामले एक बार दबा तो हमेशा के लिए दबा ही रह गया।
हरक सिंह रावत का सपना हेमेशा से उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनना रहा है। लेकिन, हरक का ये ख्वाब कभी पूरा नहीं हो पाया और शासद कभी हो भी नहीं पाएगा। 2012 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरा जोर भी लगा दिया था, लेकिन सफल नहीं हो सके। तब उनको एक बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मंत्री पद को मैं अपने जूते की नोक पर रखता हूं। इस विवाद के कारण भी हरक चर्चाओं में रहे।
विवादों का सिलसिला यहीं नहीं थमा। हरक पर 2013 में मेरठ की रहने वाली एक महिला ने शारीरिक शोषण का आरोप लगाया। तक हरक सिंह रावत विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री थे। हरक फिर से निशाने पर आए। उनके खिलाफ विपक्षी दलों ने जमकर हो-हल्ला भी मचाया, लेकिन हरक को फिर भी कोई फर्क नहीं पड़ा।
हरक के विवादों के इस सफर में एक और पड़ाव फरवरी 2014 का आया। मेरठ की रहने वाली महिला ने दिल्ली के सफदरजंग थाने में ही हरक सिंह के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में भी बाद में हरक समघ्झौता कराने में सफल हुए और मामला वहीं दब कर रह गया। 29 जुलाई 2016 को मेरठ की उसी महिला ने दोबारा हरक के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया।
18 मार्च 2016 को उत्तराखंड विधानसभा में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी। नौ बागियों ने हरीश रावत के खिलाफ बगावत की, जिसके नेता हरक सिंह रावत ही थे। हरीश रावत को हटाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। हालांकि, हरीश रावत सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हरीश रावत फिर सीएम बने। हरक सिंह समेत सभी बागियों ने भाजपा ज्वॉइन की।
हरक के जीवन से जुड़ा एक और विवाद भी है, जिसको लेकर अक्सर सोशल मीडिया में चर्चाएं होती रहती हैं। मशहूर सिंगर के साथ हरक के संबंध रहे। हरक के दो बच्चे भी हैं। हरक सिंह रावत के साथ उनकी फोटो भी अक्सर सोशल मीडिया में तैरती रहती हैं। हालांकि, हरक का यह रिश्ता बहुत ज्यादा चर्चाओं में नहीं रहा है। लेकिन, गाहे-बगाहे इसको लेकर विवाद हो ही जाता है।