Tuesday , 17 June 2025
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उत्तराखंड: वाह…डॉक्टरों ने कर दिया कमाल, पहली बार छाती की जटिल सर्जरी

  • लिम्फैन्जियो-लेओ-मायोमाटोसिस’ बीमारी से ग्रसित थी महिला रोगी.

  • इस बीमारी की उत्तराखंड में पहली जटिल सर्जरी.

  • AIIMS ऋषिकेश के डॉक्रों ने दिया जीवनदान.

ऋषिकेश: डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। जब दुवाएं काम करना बंद कर देती हैं, तब दवा और डॉक्टर काम आते हैं। धरती के भगवान होने को कई बार डॉक्टर साबित भी कर चुके हैं। ऐसा कुछ कारनामा एम्स के डॉक्टरों ने फिर कर दिखाया है। फेफड़ों में मांशपेशियां असामान्यतौर से बढ़ जाने के कारण पिछले 3 माह से ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रही एक 34 वर्षीय महिला अब बिना किसी परेशानी के तीन मंजिले भवन की सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम है। महिला को लिम्फैन्जियो-लेओ-मायोमाटोसिस नामक बीमारी थी। एम्स,ऋषिकेश के डॉक्टरों ने महिला की छाती की सफलतम जटिल थोरेसिक सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया है।

सांस लेने की परेशानी से जूझ रही थी

मुजफ्फरनगर निवासी एक 34 वर्षीया महिला करीब 10 वर्षों से सांस लेने की परेशानी से जूझ रही थी। दिक्कतें बढ़ने लगी तो 3 माह पूर्व उसका जीवन ऑक्सीजन पर निर्भर हो गया। इतना ही नहीं खांसी के दौरान उसे खून आने की शिकायत भी शुरू हो गई। इलाज के लिए उसने मुजफ्फरनगर और मेरठ के बड़े अस्पतालों के चक्कर भी लगाए।

दुर्लभ बीमारी से ग्रसित

बीमारी का पर्याप्त उपचार नहीं होने पर महिला एम्स ऋषिकेश की इमरजेंसी पहुंची। जांचें आगे बढ़ीं तो पता चला कि महिला ’लिम्फैन्जियो-लेओ-मायोमाटोसिस’ नाम की दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है और इसकी वजह से उसके फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचने में रुकावट हो रही है। महिला की स्थिति यह हो चुकी थी कि उसको दैनिक कार्यों की निवृत्ति भी कठिन चुनौती जान पड़ती थी।

दस लाख लोगों में से किसी एक को होती है

एम्स के ट्रॉमा सर्जन एवं जनरल थोरेसिक सर्जरी प्रोग्राम के इंचार्ज डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि यह बीमारी बहुत ही दुर्लभ किस्म की है और दस लाख लोगों में से किसी एक को होती है। इस बीमारी के कारण फेफड़ों की अरेखित मांसपेशियां असमान्यरूप से बढ़ जाती हैं। परिणामस्वरूप सिस्ट बनने के साथ साथ फेफड़ों के स्वस्थ ऊतकों पर भी अनावश्यक दबाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि ऐसे में जरूरी था कि फेफड़ों से इन अप्राकृतिक ऊतकों को हटाया जाए। इसके लिए रोगी की पूरी छाती की सर्जरी करने का जोखिम भरा निर्णय लिया गया।

एम्स दिल्ली के चेस्ट सर्जन प्रोफेसर विप्लव मिश्रा

डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि महिला की इस जटिल थोरेसिक सर्जरी में एम्स दिल्ली के चेस्ट सर्जन प्रोफेसर विप्लव मिश्रा का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। सर्जरी में चार घंटे से अधिक का समय लगा। स्वस्थ होने के बाद अब रोगी को बीते रोज अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। डॉ. विप्लव एवं डॉ. मधुर के अलावा सर्जरी टीम में डॉ. अजय कुमार, डॉ. अवनीश एवं डॉ. रूबी भी शामिल थे।

निश्चेतना की प्रक्रिया

उन्होंने बताया कि जितनी जटिल यह सर्जरी थी, उतनी ही जटिल इसमें उपयोग की गई निश्चेतना की प्रक्रिया भी थी। इसका श्रेय उन्होंने ऐनेस्थेसिया विभाग की डॉ. भावना गुप्ता एवं टीम को दिया। उन्होंने बताया कि पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अनुभवी डॉक्टरों की वजह से इस बीमारी का पता चल पाया है। उन्होंने कहा कि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी के मार्गदर्शन की वजह से न्यूनतम समय में ही एम्स में इस प्रकार की जटिलतम सर्जरी की जाने लगी हैं।

एजुकेशन और स्किल

एम्स निदेशक, पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि ऐसे जटिल ऑपरेशनों में एजुकेशन और स्किल को साझा करने से परिणाम बेहतर आते हैं। उन्होंने बताया कि छाती रोगों से संबंधित थोरेसिक सर्जरी के लिए एम्स ऋषिकेश में उच्च अनुभवी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम है। उन्होंने यह भी कहा कि मरीजों को विश्वस्तरीय मेडिकल तकनीक आधारित बेहतर ट्रीटमेंट उपलब्ध कराना एम्स की प्राथमिकता है। रोगी की जान बचाने के लिए जोखिम उठाकर की गई इस सफल सर्जरी के लिए उन्होंने चिकित्सकों की टीम को बधाई दी है।

क्या है ’लिम्फैन्जियोले ओमायोमाटोसिस’ बीमारी

इस बीमारी में फेफड़ों की मांशपेशियों का असामान्य विकास होने के कारण फेफड़ों में सिस्ट बनने लगती है और मरीज को सांस लेने मे अत्यन्त कठिनाई होने लगती है। साथ ही मरीज के लिम्फ नोड्स ( लसिका ग्रन्थि ) का आकार असामान्य तौर से बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में की जाने वाली सर्जरी की प्रक्रिया बेहद ही जटिल होती है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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