Wednesday , 19 March 2025
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उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल का महीना, क्या है R2 कोठी और ‘अधूरे कार्यकाल’ का मिथक!

देहरादून की सियासी गलियों में इन दिनों प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे की गूंज तेज है। उत्तराखंड की राजनीति में यह घटना केवल एक सामान्य इस्तीफा नहीं, बल्कि उन मिथकों को भी बल देती है जो वर्षों से राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय रहे हैं। प्रेमचंद अग्रवाल के पद छोड़ने के साथ ही तीन बड़े मिथक एक बार फिर से चर्चाओं में आ गए हैं।

राजनीतिक भूचाल का महीना

उत्तराखंड की राजनीति में मार्च का महीना हमेशा से ही उथल-पुथल लेकर आता रहा है। 2016 में इसी महीने राज्य की सियासत में भूचाल तब आया जब हरीश रावत सरकार से कई विधायकों ने बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा। इसी तरह 2021 में मार्च के महीने में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। और अब, 2025 में एक बार फिर मार्च के महीने में उत्तराखंड की सियासत में बड़ा फेरबदल हुआ है—कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि फाइनेंशियल ईयर के अंत में सरकारों पर बढ़ते दबाव और बजट सत्र के दौरान आने वाली चुनौतियां मार्च को राजनीतिक अस्थिरता का महीना बना देती हैं। इस बार भी इस मिथक की पुष्टि होती दिख रही है।

मनहूस कोठी R-2 का मिथक 

प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद जिस मिथक की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वह है देहरादून की यमुना कॉलोनी स्थित सरकारी कोठी R-2 का कथित ‘मनहूस’ प्रभाव। इस कोठी का इतिहास देखें तो यह स्पष्ट होता है कि जो भी मंत्री इसमें रहा, वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। इस कड़ी को देखकर स्थानीय स्तर पर यह मिथक मजबूत होता जा रहा है कि इस कोठी में रहने वाले मंत्री के राजनीतिक करियर पर संकट मंडराने लगता है।

  • शूरवीर सिंह सजवाण (तिवारी सरकार): सिंचाई मंत्री रहते हुए कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

  • हरक सिंह रावत (2012 और 2017 की सरकार): दोनों बार मंत्री पद से पहले ही बाहर हो गए।

  • प्रेमचंद अग्रवाल (2022 की सरकार): मंत्री बने, लेकिन कार्यकाल पूरा करने से पहले इस्तीफा देना पड़ा।

ऋषिकेश सीट का ‘अधूरा कार्यकाल’ मिथक

उत्तराखंड के गठन के बाद ऋषिकेश विधानसभा सीट से जो भी मंत्री बना, वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

  • 2002 में शूरवीर सिंह सजवाण को तिवारी सरकार में सिंचाई मंत्री बनाया गया, लेकिन ज्यादा समय तक पद पर नहीं रह सके।

  • प्रेमचंद अग्रवाल 2022 में मंत्री बने, लेकिन कार्यकाल खत्म होने से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा।

इस मिथक को लेकर स्थानीय राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि ऋषिकेश सीट से मंत्री बनने वाले नेता को सत्ता की पूर्ण अवधि नहीं मिलती।

सियासी हलचल तेज होने के संकेत

मार्च महीना अभी खत्म नहीं हुआ है और सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड की राजनीति में जल्द ही और बड़े बदलाव हो सकते हैं। कैबिनेट विस्तार और मंत्री पदों में फेरबदल की संभावनाएं जताई जा रही हैं। भाजपा में रणनीतिक बदलाव के संकेत भी मिल रहे हैं, जिससे यह साफ हो रहा है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में और हलचल देखने को मिल सकती है।

क्या मिथकों का प्रभाव वास्तविक है?

राजनीति में अक्सर संयोगों को मिथक का रूप दे दिया जाता है, लेकिन जब ये संयोग बार-बार दोहराए जाते हैं, तो वे अंधविश्वास की शक्ल ले लेते हैं। उत्तराखंड की राजनीति में मार्च के महीने का प्रभाव, यमुना कॉलोनी की कोठी R-2 की कथित ‘मनहूसियत’ और ऋषिकेश विधानसभा सीट का ‘अधूरा कार्यकाल’—ये तीनों मिथक अब लोगों के विश्वास का हिस्सा बन चुके हैं।

क्या यह सिर्फ एक संयोग है, या फिर उत्तराखंड की राजनीति में इन मिथकों की सच्चाई वाकई कोई गहरा संदेश देती है? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद यह चर्चा लंबे समय तक गर्म रहने वाली है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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