देहरादून: कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज बनाने का मामला काफी चर्चाओं में रहा है। सुरेंद्र सिंह नेगी ने स्वास्थ्य मंत्री रहते मेडिकल कॉलेज के लिए काम शुरू किया था। उनके बाद हरक सिंह रावत ने भी मेडिकल कॉलेज के लिए पूरा जोर लगाया। एक जिले मंे एक ही मेडिकल कॉलेज की बाध्यता के बाद मामला फंसा तो ईएसआई के तहत मेडिकल कॉलेज बनाने की तैयारी हुई। बजट भी जारी किया गया।
लेकिन, इस बीच तत्कालीन सीएम और श्रम मंत्री हरक सिंह रावत के बीच कुछ विवाद हो गया। जो बजट जारी किया गया था। उसे वापस करा लिया गया। तब भी यही कहा गया था कि एक जिले में केवल एक ही मेडिकल कॉलेज हो सकता है। लेकिन, चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह रावत नाराज हो गए। उनको मनाने के लिए राज्य सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव लाया और मेडिकल कॉलेज को स्वीकृति दे दी। बाकायदा 25 लाख रुपये जारी भी किए गए।
लेकिन, अब अचानक विधानसभा अध्यक्ष कोटद्वार विधायक ऋतु खंडड़ी का बयान सामने आया है, जिसने हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज तब तक नहीं बन सकता है, जब तक कोटद्वार जिला नहीं बन जाता। साथ ही यह भी कहा कि वो कोटद्वार को जिला बनाने के लिए संघर्ष करेंगे। इससे एक बात तो साफ है कि अगर सरकार कोटद्वार को जिला बनाती है, तो पूर्व में घोषित चारों जिलों को भी अस्तित्व में लाना होगा, जिनके लिए लगातार आंदोलन भी होते रहे हैं।
प्रदेश में चार नए जिले बनाए जाने की मांग लगातार उठती रही है। जिलों के गठन की दो बार घोषणा भी हो चुकी है। जिला निर्माण संघर्ष समिति भी लगातार आंदोलन कर रही है। लेकिन, अब तक नए जिलों के निर्माण की कोई ठोस पहल नजर नहीं आई है। मेडिकल कॉलेज निर्माण के बहाने कोटद्वार विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडड़ी ने कोटद्वार को जिला बनाने की मांग उठाई है।
विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी का कहना है कि कोटद्वार मेडिकल कॉलेज नहीं बन सकता है। उनका कहना है कि एक जिले में एक ही मेडिकल कॉलेज बन सकता है। जब तक कोटद्वार जिला नहीं बन सकता, तब तक मेडिकल कॉलेज भी नहीं बन सकता है। इसके साथ ही उन्होंने एक बात यह भी जोड़ी कि वो सरकार से कोटद्वार को जिला बनाने की मांग करती हैं।
उन्होंने कहा कि वो कोटद्वार को जिला बनाने के लिए संघर्ष करेंगे। उनके बयान से साफ है कि आने वाले दिनों में कोटद्वार को जिला बनाने की मांग जोर पकड़ सकती है। केवल कोटद्वार ही नहीं, बल्कि यमुननोत्री, रानीखेत और डीडीहाट जिला निर्माण की मांग भी फिर से जोर पकड़ने लगेगी।