Sunday , 27 July 2025
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दीपावली : लोग मरना ही चाहते हैं तो उनको क्यों बचाएं ?

दीपावली दीपों का त्योहार है। खुशियों का है, आनंद और उल्लास का दिन है। सवाल यह है क्या ये सब दीपावली में नजर आता है ? दीपावली का पर्व अब केवल धमाकों का त्योहार रह गया है। जो जिनते ज्यादा पैसों पर आग लगाएगा। उसकी दीपावली उतनी ही खास और बड़ी होगी। पैसों पर ही तो आग लगाई जाती है।

पटाखे पैसों से ही तो आते हैं। उसके बदले हमें क्या मिलता है…केवल खतरे। हवा में जहर घुलता है। बहुत लोग पूरे साल पर्यावरण की चिंता में डूबे रहते हैं, लेकिन दीपावली पर उनकी ये चिंता पटाखों के धमकों और स्टेटस सिंबल के नाम पर दफ्न हो जाती है।

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नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (NGT) हर साल लोगों को चेताता है कि आपकी सांसों में जहर घुल हा है। आप जो हवा ले रहे हैं वो भयंकर होती जा रही है। आपके फेफड़ों को तबाह कर रही है, लेकिन हम क्या करते हैं? NGT को ही हिन्दू-मुस्लिम में बांध देते हैं। सोशल मीडिया में ऐसी कई पोस्टें नजर आई, जिनमें एनजीटी के आदेशों का मजाक केवल इस नाम पर उड़ाया गया कि दीपावली हिन्दुओं का बड़ा त्याहोर है।

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हम ये भूल जाते हैं कि दीपावली के दिन धमाके करने की परंपरा का कहीं जिक्र नहीं है। दीये जलाइये, कपवान बनाइये, अपने घर-आंगन को रोशनी से रोशन कीजिए। लेकिन, उसे भी हम इलेक्ट्रानिक लड़ियों से ही निपटा दे रहे हैं। ठीक है कि हमारा प्रमुख त्यौहार है, लेकिन ये भी तो ध्यान रखना होगा कि सासें भी हमारी हैं।

बहरहाल, मुद्दे की बात ये है कि एनजीटी ने केवल ग्रीन पटाखे जलाने को कहा था, हालांकि ये बात समझ से परे है कि पटाखे ग्रीन कैसे हो सकते हैं। उनमें भरा तो बारूद ही गया है। लेकिन, जो भी है। एनजीटी का संदेश और मैसेज साफ है कि पटाखे कम जलाएं और हवा को जहरीला होने से बचाया जाए। लेकिन, कोई भी मानने को तैयार नहीं हैं। लोगों को अपने मन की ही करनी है।

यहां देखें VIDEO :

एनजीटी ने कहा था कि केवल दो घंटे पटाखे जलाए जाएंगे, लेकिन क्या ऐसा हुआ ? नहीं कतई नहीं। लोग आज सुबह तक पटाखे फोड़ते रहे। कुछ दिन ये सिलसिला और चलता रहेगा। हवा को जहरीला करने का काम लोग जारी रखेंगे। चाहे जहर उन्हीं की सासों के जरिए, उनके ही फेफड़ों को क्यों बर्बाद कर रहे हों।

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उत्तराखंड के भी इसमें 6 शहर शामिल हैं, जिनमें हवा जहरीली हो रही है। देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी जैसे शहरों की हवा में जहर घुला हुआ है। इन शहरों की हवा प्रदूषित हो चुकी है। बार-बार चेताया जाता है, फिर भी हम मानाने को तैयार नहीं हैं।

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NGT तो यही चाहता है कि लोगों की सलामत रहें, लेकिन हम हैं कि मानते ही नहीं। राजधानी देहरादून से लेकर राज्य पहाड़ी जिलों तक पटाखों ने हवा को और जहरीला कर दिया है। हालांकि पहाड़ों पर अब भी स्थिति काबू में है, लेकिन संभलकर रहने की जरूरत वहां भी है।

-प्रदीप रावत (रवांल्टा)

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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