पौड़ी: शहरों में चोरी की घटनाएं सामने आती ही रहती हैं। लेकिन, गांवों में चोरी की घटनाओं की जानकारी कम ही सामने आ पाती है। पौड़ी जिले के कई गांवों में इन दिनों चोरों का कहर है। चोर आए दिन किसी ना किसी गांव में घटनाओं को अंजाम दे देते हैं। मामले की जानकारी राजस्व पुलिस को भी दी जाती है, लेकिन हर बार की तरह इन चोरी के मामलों में भी राजस्व पुलिस संसाधानों की कमी का रोना रोती है और हाथ खड़े कर देती है। बहुत कम मामलों में ही राजस्व पुलिस चोरी और अन्य घटनाओं का खुलासा कर पाती है।
पौडी जिले के तहसील चौबट्टाखाल, पौखड़ा ब्लॉक पोखड़ा के मटगल (बगड़ीगाड़) गांव में एक माह में कई बार चोरियां हो चुकी हैं। गांव में बने माता के मंदिर में ही एक महीने में दो बार चोरी की बारदात को अंजाम दिया जा चुका है। राजस्व पुलिस को दोनों चोरियों की जानकारी दी गई, लेकिन खुलासा अब तक एक का भी नहीं हो पाया है। मंदिर से देवी को चढ़ाए गए चांदी के छत्र और दानपेटी समेत अन्य सामान भी चोरी हो गया।
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हाल ही में गांव के भगवान सिंह रावत के घर में चोरी हुई। उनको बड़ा घर है। हैरानी की बात यह है कि एक ही घर में 25 तोले तोड़ दिए गए और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी। घर से कीमती सामाना चोरी हो गया। इसी घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर विजय सिंह का भी घर है। इस घर के भी ताले तोड़े गए। घर से चांदी के गहने और सिक्कों समेत अन्य कीमती सामान चोरी हो गया।
इसके अलावा गांव के संतोष सिंह रावत के घर में भी चोरी हुई। पटवारी आए और रिपोर्ट लेकर चले गए। मामले में अब तक कार्रवाई नहीं हुई। नवीन सिंह रावत ने बताया कि गांवों में लगातार चोरी हो रही है। लोग चिंता में हैं। आलम यह है कि लोग अब अपने घर छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकते हैं।
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राजस्व उप निरीक्षक कुलदीप कुमार का कहना है कि गांव में चोरी की घटनाओं की जानकारी है। गस्त की जा रही है। उनका कहना है कि चोर उन घरों को निशाना बनाते हैं, जिन घरों में लोग नहीं रहते हैं। उनका यह भी कहना है कि जिन घरों में चोरी होती, उनके बारे में जानकारी चोरों तक कैसे पहुंचती है। इसको लेकर जांच की जा रही है।
चोरी की घटनाओं का ट्रैंड बताता है कि इनमें कुछ अपने ही शामिल हो सकते हैं। ऐसे मामले गांवों में पहले भी सामने आ चुके हैं। चोरी के मामले में एसडीएम संदीप कुमार का कहना है कि वो मामले की जानकारी नायब तहसीलदार से लेंगे। उनका कहना है कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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पलायन के कारण पहाड़ के गांवों में बाहरी लोग आसानी से आ-जा सकते हैं। ऐसे में गांवों में बाहरी लोगों का पहुंचना आसान हो जाता है। गांव में कम लोग होने के कारण रात के अंधेरे में चोर घरों को निशाना बनाते होंगे। लेकिन, सवाल यह है कि आखिर कब तक गांवों में ऐसे ही चोरी होती रहेगी। इन मामलों की जांच रेगुलर पुलिस को क्यों नहीं सौंपी जाती है?