देहरादून : उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस में राजनीतिक उठापटक का दौर जारी था। इस दौर में अब भाजपा राज्य को 4 साल में तीसरा मुख्यमंत्री देने के बाद भी आगे नजर आ रही है। उसका कारण कांग्रेस की अंदरूनी खटपट है। कांग्रेस भाजपा पर निशाना साध रही है, लेकिन खुद कई दौर की बैठकों के बाद भी नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय नहीं कर पाई है।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव विकास जोशी भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में चल रहे थे। लेकिन, उनकी एक फेसबुक पोस्ट बता रही है कि वह आब प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो गए हैं। इससे तय माना जा रहा है कि राज्य का जो भी अगला प्रदेश अध्यक्ष होगा वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पसंद से बनेगा और उन्हीं के रिमोट से चलेगा भी।
प्रकाश जोशी अभी तक उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन उनकी फेसबुक पोस्ट ने यह इशारा कर दिया है की अब वे इस दौड़ से बाहर हैं। हरदा उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा हैं और हरदा हमेशा से राजनीति का पूरा कंट्रोल अपने हाथ में रखने के लिये जाने और पहचाने जाते हैं। एक यही कारण है जिससे हरदा के सामने हमेशा मुश्किल खड़ी हो जाती है।
इस बार उत्तराखंड में कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर जो रस्सा कस्सी चल रही है उसमें हरदा फिर से सब कुछ अपने नियंत्रण में करना चाहते है। एक तरफ भाजपा ने अपने कैडर के युवा विधायक को सीधा मुख्यमंत्री बनाकर 2022 का चुनावी बिगुल बजा दिया है। वहीं, दूसरी तरफ हरीश रावत अपनी ही पार्टी के संगठनात्मक रणनीति के युवा नेता प्रकाश जोशी जैसे माहिर खिलाड़ी की घेराबंदी में लगे हैं। सब जानते हैं हरदा के तरकश में बहुत तीर होते हैं। हरीश रावत ने इस बार दलित प्रदेश अध्यक्ष की पैरवी करते हुऐ ब्राहमण नेताओं की लंबी फेरहिस्त खड़ी कर केंद्रीय नेतृत्व को कंफ्यूज कर रखा दिया है।
दूसरी तरफ वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रितम सिंह के पास अपने सिवा कोई दूसरा बेहतर विकल्प ना होने के कारण वे अध्यक्ष की दौड़ से बाहर चुके हैं। बार-बार च्वाहाण कमेटी का हवाला देकर हरदा खुद को उत्तराखंड में कांग्रेस का चेहरा बना कर 2022 का समर फतेह करना चाहते हैं। जबकि अब तक सभी गुटों को साथ लेने में हरीश रावत नाकाम नजर आ रहे हैं। यही वजह थी की उनके मुख्यमंत्री काल में कांग्रेस को बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा था।
दूसरी तरफ सल्ट उप चुनाव में जिस तरह हरीश रावत खेमे के अधिकतर विधायक और नेता प्रकाश जोशी के नेतृत्व में कार्य कर रहे थे। उससे यह मैसेज गया था कि हरदा और जोशी के बीच नये कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कुछ सुलह हो गयी है। लेकिन, जिस तरीके से हालात पैदा हुऐ हैं। उससे हरदा के लिये कुमाऊं में प्रकाश जोशी अब नये विरोधी के रूप में तैयार हो गये है।प्रकाश जोशी दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व पर अच्छी पकड़ रखते हैं। समय आने पर राजनीति का चक्र घूमा तो एक बार फिर हरदा की पकी-पकाई राजनीतिक हांडी को प्रकाश जोशी फोड़ सकते हैं।
फिलहाल नये अध्यक्ष की ताजपोशी हरदा की पसंद पर होती नजर आ रही है, जिसमें गणेश गोदियाल और नव प्रभात का नाम प्रमुख रूप से आगे चल रहा है। बड़े ब्राह्मण नेता होने के कारण प्रकाश जोशी का AICC में बड़े पद पर जाना लगभग तय है। इसलिए हरदा ने वर्तमान में संकट को टाल कर फिलहाल अपने लिये रास्ता बना लिया है। लेकिन प्रकाश जोशी कभी भी राज्य की राजनीति में दखल दे सकते हैं, जिससे राजनीतिक रूप से हरदा को बड़ा नुकसान हो सकता है।