Wednesday , 4 December 2024
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उत्तराखंड : रोड बंद हुई तो कैसे पहुंचेंगे परीक्षा केंद्र, इन सवालों का खोजना होगा जवाब

देहरादून: राज्य में हालांकि इस बार कोरोना के कारण परिस्थितियां कुछ विपरीत हुई हैं। लेकिन, उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं में हर साल बड़ी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या पहाड़ी जिलों के युवाओं की होती है। यह भी सामने आया है कि बरसात के समय होनी वाली परीक्षाओं में इस तरह की स्थिति ज्यादा नजर आती है।

हर बाद देखने में आता है कि परीक्षा के अधिकांश केंद्र देहरादून और हरिद्वार में ही बनाए जाते हैं, जबकि पहाड़ी जिलों में परीक्षा केंद्रों की संख्या कम होती है। बरसात में समस्या उस वक्त खड़ी हो जाती है जब कोई अभ्यर्थी अपने घर परीक्षा देने निकलता है और सड़क बंद होती है। कई बार इसके चलते परीक्षाओं से युवाओं को वंचिंत होना पड़ा है।

क्या सरकार को नहीं लगता कि उत्तराखंड में परीक्षा नीति बनाए जाने की जरूरत है। इसमें बहुत कुछ करने की जरूरत भी नहीं है। बरसात में होनी वाली प्रतीयोगी परीक्षाओं को एक-दो माह के लिए टाल कर आगे खिसकाया जा सकता है या फिर पहले कराया जा सकता है।

11 अगस्त को नवोदय विद्यालय खैरासैंण (सतपुली) पौड़ी प्रवेश परीक्षा होनी है। इस परीक्षा को देने के लिए बच्चों के साथ अभिभावकों को जाना पड़ता है। अगर कहीं भी बारिश हुई और रोड़ बंद हो गई। उस स्थिति बच्चे कैसे अपने परीक्षा केंद्र पहुंच पाएंगे ये बड़ा सवाल है?

उत्तराखंड की परिस्थिति के अनुरूप एक परीक्षा नीति बनाई जानी चाहिए। होना यह चाहिए कि रात्य के प्रत्ये ब्लॉक में एक परीक्षा केंद्र हो। होता यह है कि जितनी भी बड़ी परीक्षाएं होती हैं, उनके ज्यादातर केंद्र सुगम शहरों की में ही बनाए जाते हैं। इससे होता यह है कि पहाड़ से आने वाले बच्चों के लिए दिक्कतें होती हैं।

उनको कई किलोमीटर का सफर तो तय करना ही पड़ता है। साथ ही अतिरिक्त खर्च भी उठाना पड़ता है। बरसात का मौसम बहुत खरनाक होता है। रोड टूट जाती हैं। भूस्खलन खतरा लगातार रहता है। कई जगहों पर नदी-नाले उफान पर आने से पानी भर जाता है।

इससे कई तरह के खतरे होते हैं। पहाड़ों पर इस तरह की घटनाएं आए दिन सामने आते रहती हैं। सोशल मीडिया में अब इस तरह की चर्चा होने लगी हैं कि कम से कम बरसात के मौसम में कोई परीक्षा नहीे होनी चाहिए।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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