रुड़की: कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। शहर से गांव तक कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना की पहली लहर में सरकार ने जिस तरह से सतर्कता दिखाई थी, दूसरी लहर में उस तरह की सतर्कता नजर आा रही है। मामले सामने के बाद भी चीजों को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इसी लापरवाही के कारण लोगों की जानें जा रही है। स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ने के बाद संज्ञान लेने तक चीजें हाथ से निकल चुकी होती हैं। ऐसा ही एक मामले रुड़की में सामने आया है।
रुड़की तहसील के नारसन ब्लॉक के लिब्बरहेड़ी गांव में देखने को मिला। गांव में 15 दिन से हर रोज औसतन दो से तीन मौतें हो रही हैं। ग्रामीणों के अनुसार मई में अब तक 35 मौतें हो चुकी हैं। गांव में हर तीसरे घर में खांसी और बुखार से परिवार के लोग पीड़ित हैं। ग्रामीणों की मानें तो इस वक्त गांव में करीब पांच सौ लोग बीमार हैं। चिंताजनक ये है कि न तो यहां के लोग टेस्ट करा रहे हैं और न ही प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची है।
24 अप्रैल को गांव में पहली मौत हुई थी। दो दिन बाद फिर एक मौत हुई। 30 अप्रैल तक गांव में चार मौतें हुई। आए दिन एक-दो मौतें होने लगी। लेकिन, बताया जा रहा है कि 11 मई को गांव में एक साथ छह मौतें हुईं। गांव में करीब 500 लोग ऐसे हैं, जिन्हें बुखार और खांसी की शिकायत है। आलम यह है कि एसडीएम कह रहे हैं कि यह नहीं मान सकते कि सभी मौतें कोविड के कारण ही हई हैं।
शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम को गांव भेजा गया था, इस दौरान 80 सैंपल लिए गए हैं। जिनमें से एक व्यक्ति की ही रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। संडे को भी टीम गांव में गई थी। गांव के पूर्व प्रधान ने कहा कि गांव में हर दिन संदिग्ध बुखार और कोरोना के चलते दो से तीन लोगों की मौत हो रही है। कार्यकाल समाप्त होने के कारण गांव में प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं।