डबल इंजन…विकास के हवाई मार्ग पर हांफ रहा है…। पांच साल होने को हैं। अब तक आधा पैसा भी खर्च नहीं कर सके। अब केवल 6 महीने बचे हैं। सवाल यह है कि 6 महीने में विधायक निधि खर्च होगी या फिर ठिकाने लगाई जाएगी। दावे विकास के और हकीकत यह कि जो जनता का पैसा है। उसी पर कुंडली मारकर बैठे हैं।
विधायक और मंत्रियों का ही हो पाता है
जनता पूरे पांच साल इसी उम्मीद में रहती है कि विधायक उनके क्षेत्र का विकास करेंगे। लेकिन, विकास केवल विधायक और मंत्रियों का ही हो पाता है। उनके विकास के रास्ते दूसरे हैं। उन रास्तों से जनता का कोई सरोकार नहीं है। विधायकों पर उनकी विधानसभा के विकास की जिम्मेदारी होती है। लोग इस उम्मीद के साथ विधायक चुनते हैं कि उनके क्षेत्र का विकास होगा।
अपने विकास पर ज्यादा फोकस
लेकिन, एक बार नेता बनने के बाद वो अपने विकास पर ज्यादा फोकस कर देते हैं। उस फोकस में जनता आउट हो जाती है। यही कारण है कि कई बार तो नेताओं को चुनाव के समय याद रहने वाले चेहरे चुनाव के बाद धंधुले नजर आने लगते हैं और जैसे ही फिर चुनाव आते हैं। नेता की आंखों में चमक लौट आती है।
4-5 करोड़ भी खर्च कर देता है
स्थिति यह है कि अपने यहां विधायक को दो लाख से ज्यादा वेतन मिलता है। लेकिन, जब चुनाव आता है तो वो करोड़ों भी खर्च कर देता है। सवाल यह है कि जब वो इनता कमाता ही नहीं है, तो खर्च कहां से करता है। इससे एक बात तो साफ है कि अगर आप सोच रहे हैं कि आपका नेता इमानदार है, तो यह आपकी गलत फहमी है।
17.75 करोड़ रुपये मिले चुके
हिंदुस्तान ने एक रिपोर्ट छापी है। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि कई विधायक बीते साढ़े चार साल में अपनी आधी निधि भी खर्च नहीं कर पाए हैं। विकास निधि की अंतिम किस्त भी जारी कर दी गई है। वित्तीय वर्ष 2017-18 से प्रत्येक विधायक को इस मद में कुल 17.75 करोड़ रुपये मिले चुके हैं, लेकिन विधायक इसे खर्च नहीं कर पाए। इससे एक बात साफ है कि उनके पास कोई योजना नहीं है।
93.95 करोड़ रुपये शेष
ग्राम्य विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार सभी विधायकों की कुल मिलाकर 30 जून तक निधि के रूप में 393.95 करोड़ रुपये शेष बचे हुए हैं। इस तरह अब तक निधि का कुल 69 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है। विधायक निधि के तहत स्वीकृत कुल 47,986 कार्यों में से 36,066 ही पूरे हो पाए हैं।
50 प्रतिशत भी निधि खर्च नहीं कर पाए
कई विधाय़क अपनी निधि का 50 प्रतिशत भी निधि खर्च नहीं कर पाए हैं। प्रत्येक विधायक को विकास निधि के रूप में प्रतिवर्ष 3.75 करोड़ रुपये मिलते हैं। पिछले साल त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के दौरान कोविड के कारण विधायक निधि में 1 करोड़ रुपये की कटौती कर दी थी। लेकिन इस वर्ष चुनावी साल होने के चलते सरकार ने उक्त कटौती बंद करते हुए पूरे 3.75 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।
60% से कम निधि खर्च करने वाले विधायक
- मनोज रावत 39%
- महेश नेगी 46%
- डॉ.धन सिंह 49%
- मुन्ना चौहान 55%
- करन माहरा 57%
- सहदेव पुंडीर 58%
- विजय सिंह पंवार 59%
- प्रेमचंद अग्रवाल 59%
-Pradeep Rawat (रवांल्टा )