उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रभाव ऐसा कि उत्तराखंड उससे अछूता नहीं रह सका। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी आदेश दिए कि दुकानों पर नाम तो लिखने ही होंगे। उनके निर्देश के बाद पुलिस भी इस काम में जुट गई है। अब सवाल यह है कि लियाकत और राहुल को नौकरी कोन देगा?
लियाकत, राहुल, राम और रहीम की भी गई नौकरी
सरकारों के निर्देश के बाद इसका सीधा नुकसान दुकान मालिकों के साथ ही उन दुकानों में काम करने वाले मजदूरों और कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। सवाल यह है कि जिन मजदूरों और कर्मचारियों की नौकरी गई है, उनके परिवारों की जिम्मेदारी क्या सरकारें उठाएंगी?
दूसरे धर्मों के कर्मचारियों को निकाल रहे हैं
सरकारों के इन फरमानों के बाद स्थिति यह है कि मुस्लिम और हिन्दू दुकान मालिक अपने प्रतिष्ठानों से दूसरे धर्मों के कर्मचारियों को निकाल रहे हैं। इससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
लगातार इस तरह के सवाल उठ रहे हैं
सोशल मीडिया में भी लगातार इस तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिरी यह सब करने की क्या जरूरत है? क्यों सरकार समाज को बांटना चाहती है? क्यों हर बार सारे मुद्दे हिन्दू-मुस्लिम की डिबेट पर आकर अटक जाता है?
क्या लोग पहले धर्म पूछेंगे?
यह भी सवाल उठ रहे हैं कि जब किसी दुर्घटना या बीमारी के दौरान किसी को खून की जरूरत पड़ेगी तब भी क्या पहले यह पूछा जाएगा कि राम हो या रहीम? जब किसी को अस्पताल पहुंचाना होगा, तब भी क्या लोग पहले धर्म पूछेंगे? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब किसी राजनीतिक दल या सरकारों के पास नहीं होगा? लोग तो