नैनीताल: त्रिवेंद्र सरकार हो या फिर अब तीरथ सरकार। दोनों ही सरकारों के फेलियर का पता इस बात से चल जाता है कि हाईकोर्ट और जनहिम याचिकाओं पर कोर्ट सरकार पर तल्ख टिप्पी करता है। हालांकि तीरथ सरकार को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है, लेकिन उनके पास खुद को साबित करने का यही सही वक्त भी था, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली राज्य के गंभीर मसलों को लेकर जनहित याचिका दायर करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी याचिकाओं पर कई बार कोई बड़े निर्णय भी सुना चुका है। उन्होंने राज्य में कोरोना काल की बदहाली को लेकर याचिका दायर की थी, जिस पर सुनावाई करते हुए कोर्ट ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी की है।
सरकार के प्रयास अपर्याप्त और आधा-अधूरे
हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण रोकने, कोविड अस्पतालों और अन्य व्यवास्थाओं को लेकर सरकार के प्रयासों को अपर्याप्त और आधा अधूरा बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि एक अदृश्य शत्रु के साथ तृतीय विश्व युद्ध चल रहा हैए लेकिन सरकार की ओर से अपेक्षित गंभीरता और तैयारी कहीं नजर नहीं आ रही। सरकार शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठी नजर आ रही है। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश आरएस चैहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में लंबी सुनवाई हुई।
इतना घटिया एफिडेविट पहले कभी नहीं देखा
सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने पूर्व के आदेश के क्रम में हाईकोर्ट में शपथपत्र पेश कियाए लेकिन अदालत इस पर संतुष्ट नहीं हुई। हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को 20 मई तक दोबारा विस्तृत शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिए। एफिडेविट पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इतना घटिया एफिडेविट उन्होंने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत आपत्तिजनक है कि सरकार कोर्ट को समुचित जानकारी देने के बजाय, उसे अंधेरे में रख रही है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस वजह से वे समाचारपत्रों और नेट से जानकारी जुटा कर लाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
रामनगर में कोई कोविड अस्पताल ही नहीं
रामनगर में कोई कोविड अस्पताल न होने के कोर्ट के सवाल पर सरकार की ओर से कहा गया कि इसके लिए हल्द्वानी में अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सचिव की नजर में रामनगर में अस्पताल की जरूरत ही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी महामारी में भी जो लोग दवा, ऑक्सीजन की जमाखोरी, कालाबाजारी या नकली दवा का धंधा कर रहे हैं, उनके लिए कड़ा कानून होना चाहिए। यही नहीं कालाबाजारी करने वालों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक जनवरी से दूसरी लहर के लिए चेता रहे थे, लेकिन सरकार ने तैयारी नहीं की। अब तीसरी लहर आने की चेतावनी दी जा रही है। सरकार बताए कि वह इसके लिए क्या कर रही है।
टेस्ट के लिए मोबाइल सेवा उपलब्ध कराए सरकार
मुख्य न्यायाधीश आरएस चैहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने संसाधनों के अभाव में डेढ़ साल से कार्य कर रहे डॉक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों और अन्य मेडिकल स्टाफ की सराहना करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए कि टेस्टिंग लैबों की संख्या बढ़ाए, पर्वतीय क्षेत्रों में टेस्ट कराने के लिए मोबाइल सेवा उपलब्ध कराए तथा इसके लिए शीघ्र आईसीएमआर की अनुमति ले।
बंद कॉलेजों को कोविड सेंटर बनाएं
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि जो कॉलेज बंद हैं उनको शीघ्र कोविड सेंटर बनाने पर विचार किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि हरिद्वार, हल्द्वानी और देहरादून में आईसीयू बेडों की संख्या बढ़ाई जाए। रामनगर जैसे छोटे शहरों में हेल्थ सेंटर युद्ध स्तर पर खोले जाएं, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सीधे विदेशों से मंगाने के लिए सरकार केंद्र से अनुमति ले। देहरादून, हरिद्वार व पौड़ी में दस दिन के भीतर सिटी स्कैन मशीन स्थापित किए जाएं।
वैक्सीनेशन सेंटर अस्पतालों से हटाने के निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा कि जिन दवाओं की कलाबाजारी हो रही है और जो निजी अस्पताल अधिक चार्ज वसूल रहे हैं, नोडल अधिकारी आईजी अमित सिन्हा उन पर कार्रवाई कर 20 मई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। जिन अस्पतालों कोविड वैक्सीनेशन सेंटर बनाए गए हैं, उनको वहां से हटाकर अन्य जगह स्थापित करें ताकि लोग भीड़ देखकर डरें नहीं। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि भवाली सेनिटोरियम को भी कोविड हॉस्पिटल बनाने पर विचार करें। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि महामारी को देखते हुए सरकार डॉक्टरों और नर्सों की शीघ्र भर्ती करे।
हरिद्वार में टेस्ट लैब तक नहीं
सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आने पर कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि हरिद्वार में भारी तादाद में मामले आने के बाद भी वहां एक भी सरकारी टेस्ट लैब नहीं है। प्रदेश भर में केवल दस सरकारी टेस्ट लैब और 27 निजी लैब हैं। कोर्ट ने इनकी संख्या बढ़ाने को कहा।
राज्य में केवल आठ सीटी स्कैनर
कोर्ट ने कहा कि राज्य में केवल आठ सरकारी सीटी स्कैनर हैं जो कि बहुत कम हैं। इनकी संख्या बढ़ाई जाए इसके लिए सरकार वित्तीय कमी का तर्क नहीं दे सकती। यह उसकी जिम्मेदारी है कि आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए संसाधन जुटाए। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद सरकार ने कुंभ मेला होने दिया, पूर्णागिरि मेले में भी दस बीस हजार लोग जुटने दिए।
धाम यात्रा पर रोक की बात कह रही है
सरकार अब चारधाम यात्रा पर रोक की बात कह रही है, लेकिन वहां का प्रबंधन अपनी खुद की एसओपी बना कर स्थानीय स्तर पर आयोजनों की तैयारी कर रहा है, सरकार बताए कि इस पर कैसे निगरानी रखेगी। अनेक राज्यों ने आपदा प्रबंधन के लिए बगैर टेंडर मोबाइल टेस्ट वैन खरीदी हैं। सरकार इस प्रक्रिया का अध्ययन कर आवश्यक कदम उठाए। कोर्ट ने ऑनलाइन पोर्टल पर हल्द्वानी के कोविड-19 अस्पतालों में स्थित ऑक्सीजन और आईसीयू बेड खाली न होने के तथ्य से स्वास्थ्य सचिव को अवगत कराया और कहा कि जब अस्पतालों में आईसीयू और ऑक्सीजन के बेड खाली ही नहीं है तो लोग कहां जाएंगे। डीआरडीओ के अस्पताल बनने में 15 दिन लगेंगे तब तक लोगों के लिए क्या व्यवस्था की गई है।