…प्रदीप रावत (रवांल्टा)
गुरुविंदर सिंह चड्ढा। ये नाम कुछ लोगों के लिए नया हो सकता है, लेकिन कुमाऊं का शायद ही कोई ऐसा जिला होगा, जिस जिले के जरूरतमंद और किसी गरीब को गुरुविंदर सिंह चड्ढा ने मदद नहीं पहुंचाई होगी। लोगों का ऐसा सहारा, जो हर किसी का सहारा बन जाते थे। उनके पास करने के लिए तो अपना काम भी था, लेकिन उन्होंने अपने काम के साथ समाजसेवा को भी अपना काम बना लिया था। लाइमलाइट से दूर रहने वाले गुरुविंदर सिंह चढ्डा आज हम सबको छोड़कर चले गए। दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनके जाने से उनके परिवार के साथ ही उन हजारों लोगों का सहारा भी छिन गया, जिनकी उन्होंने बगैर जान-पहचान के अपना परिवार मानकर मदद की थी। कई लोगों को अपने खर्च पर दिन-राज एक कर जिंदगी दी।
गुरुविंदर सिंह चड्ढा से मेरा कोई खासा नाता तो नहीं था, लेकिन उनसे हल्द्वानी दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग करते हुए मुलाकात हुई थी। उसके बाद एक बच्चे की बीमारी के सिलसिले में उनसे मुलाकात हुई थी। बच्चे के गल्ले में बड़ी गांठ बनी हुई थी। इलाज नहीं हो रहा था। उस बच्चे का इलाज उन्होंने करवाया। प्रधानमंत्री को भी चिट्ठी लिखी थी। पीएमओ से मदद की चिट्ठी भी आई थी, लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी। उस बच्चे की मौत से वो उतने ही दुखी थे, जितना कोई खुद के परिवार का होता है। यही बात मुझे उनका मुरीद बना गई थी।
मुलकातें हुई। बहुत ज्यादा नहीं, लेकिन कभी-कभार हो जाती थी। सोशल मीडिया के जरिए अक्सर लोगों की मदद करते थे। उनको एक ऐसा ही मददगार सोशल मीडिया पर मिल गया था, जिनके बारे में वो पहले खुद भी नहीं जानते थे, लेकिन गरीब और जरूरतमंदों की मदद में वो अनजान व्यक्ति गुरुविंदर चड्ढा की खूब मदद करते थे। कई बार गरीबों का इलाज मेदांता और दूसरे बड़े महंगे अस्पतालों में तक कराया। वो कभी अपनी जेब से खर्च करने में नहीं कतराते थे।
आरटीआई को कई लोग दूसरों को ब्लैकमेल करने और अपनी कमाई का जरिया बना लेते हैं। कई बना भी रहे हैं। , लेकिन गुरुविंदर सिंह चड्ढा ने आरटीआई को गरीबों की मदद का हथिया बनाया और कई खुलासे किए। जनहित की योजनाओं में गड़बड़झाले उजागर किए। लोगों की मदद के लिए आरटीआई लगाते थे और तब तक पीछे नहीं हटते, जब तक जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिल जाता था।
उनके इस तरह से जाने से दुखी हूं। भगवान से प्रार्थना कर सकता हूं कि उनको अपने श्री चरणों में स्थान दे। उम्मीद करेंगे कि कोई और गुरुविंदर चड्ढा के कामों को आगे बढ़ाए और उन गरीबों को सहारा देते रहें, जिनका सहारा वे थे। उनके निधन पर लोग दुखी हैं। सामाजिक संगठनों समेत कई लोगों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मानसेरा ने कहा कि वो समाज के लिए हमेशा समर्पित रहते थे। उन्होंने जहारों लोगों की मदद कर उनको जीवनदान दिया।
…अलविदा