Friday , 22 November 2024
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उत्तराखंड: गोदाम में डंप कर दिए वेंटिलेटर और आधुनिक मेडिकल उपकरण

हल्द्वानी: कोरोना काल में जब संकट गहराया था, उस वक्त पीएम केयर्स फंड से करोड़ों रुपए के मेडिकल उपकरण खरीदे गए, जिनमें वेंटिलेटर से लेकर रिमोट से कंट्रोल होने वाले जैसे आधुनिक बेड और अन्य मेडिकल उपकरण शामिल थे।

हल्द्वानी में अस्पताल भी बनाया गया। उसमें मरीजों का इलाज भी हुआ। लेकिन, कोरोना के खत्म होने के बाद अस्पताल तो बंद हुआ ही। साथ ही उसमें लगे करोड़ों की कीमत के मेडिकल उपकरण भी बर्बादी की कगार पर हैं।

राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर में कोरोना से निपटने के लिए बनाया गया जनरल बीसी जोशी कोविड अस्पताल करीब डेढ़ माह पहले बंद कर दिया गया था। इसमें लगाए गए करोड़ों रुपये के हाईटेक मेडिकल उपकरणों को अब मेडिकल कॉलेज के लेक्चर थिएटर में डंप कर दिया गया है।

सवाल यह है कि जब प्रदेश में कैसे पता वालों में मेडिकल उपकरणों की भारी कमी है। ऐसे में इन कीमती और जीवन रक्षक उपकरणों को इस तरह किसी गोदाम में दम क्यों डंप किया जा रहा है कोविड की दूसरी लहर के दौरान करीब 40 करोड़ की लागत से राजकीय मेडिकल कॉलेज में 500 बेड का अस्पताल बनाया गया था।

जून 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इसका उद्घघाटन किया। तीसरी लहर के बाद कोरोना के केस नहीं के बराबर मिलने पर इस अस्पताल को हटाने के आदेश शासन ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते में जारी किए थे।

साथ ही अस्पताल के भीतर रखे करोड़ों रुपये के उपकरणों को सरकारी अस्पतालों में उनकी जरूरत के मुताबिक देने को कहा था। स्वास्थ्य विभाग ने इस उपकरणों को सरकारी अस्पताल को देने की जगह मेडिकल कॉलेज के पुराने लेक्चर थिएटर में बंद कर उसमें ताला लगा दिया है। डंप किए उपकरणों में रिमोर्ट से संचालित होने वाले 125 बेड भी हैं।

यह बेड 360 डिग्री में घूम सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि जब बेड को कोविड अस्पताल से लेक्चर थिएटर में डंप किया गया तो उबड़-खाबड़ सड़क में चला कर ले जाया गया। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार कोविड अस्पताल में बहुत कम मरीजों के भर्ती होने से उपकरणों का इस्तेमाल नहीं हुआ। अब इनको फिर से डंप कर दिया गया है। ऐसे में करोड़ों रुपये के उपकरणों के खराब होने का खतरा है।

सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के दावे कर रही हो। लेकिन जिस तरह से उपकरणों को डंप किया गया है। उससे सरकार पर भी सवाल खड़े हुए हैं। देखना होगा कि स्वास्थ्य मंत्री धनसिंह रावत इस मामले में क्या एक्शन लेते हैं और किस तरह से बर्बाद हो रहे आधुनिक मेडिकल उपकरणों को उपयोग में लाते हैं।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
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