Friday , 22 November 2024
Breaking News

अपने गांव से समूण, स्नेह और आशीर्वाद लेकर लौटे CM धामी

देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने पैतृक गांव ‘हड़खोला’ का दौरा किया। मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलने के बाद पहली बार वह अपने पैतृक गांव पहुंचे तो उनकी एक झलक पाने को गांव के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।

लोगों को लगा कि धामी के पास जाना और उनसे खुलकर बात करना मुश्किल होगा। लेकिन, सुरक्षा के तमाम इंतजामों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री धामी खुद ही अपनों के बीच पहुंच गए। सहज रूप से जनसमूह के साथ एकरूप हो जाना पहले से ही उनकी विशेषता रही है। ‘बूढ़ दिवाली’ का पर्व और इस मौके पर गांव के बेटे का बतौर मुख्यमंत्री अपनों के बीच पहुंचना, ‘हड़खोला’ गांव के उत्साह को दोगुना कर गया।

गांव में पहुंचते ही धामी ने हरीचंद्र देवता मंदिर में परिजनों के साथ आम व्यक्ति की तरह पूजा-अर्चना की। ईष्ट देव से प्रदेश के लिए खुशहाली मांगी। मंदिर के पुजारी विद्याधर भट्ट ने उन्हें पूजा अर्चना करवाई। पुजारी भट्ट का कहना है कि “छोटा सा पद” प्राप्त होते ही सामान्य व्यक्ति आत्ममुग्ध हो जाता है, उसके मिजाज में सुपीरियरिटी कॉम्पलेक्स आ जाता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सहजता और सरलता को अब तक बचाकर रखे हुए हैं। महिलाओं ने धामी के सम्मान में मंदिर परिसर में झोड़ा-चांचरी का आयोजन कर माहौल में उल्लास के रंग भर दिए। रविवार की सुबह ‘बूढ़ दिवाली’ के त्यौहार पर धामी ने अपने पैतृक आवास में दिन की शुरुआत ईष्ट देवता की पूजा-अर्चना के साथ की। इसके बाद वह गांव में लोगों से मिलने निकल पड़े। सुरक्षा तातझाम इतना मामूली था कि हर कोई उनसे दिल खोलकर मिला। किसी ने धामी को समूण (तोहफा) दिया तो किसी ने स्नेह और आशीर्वाद।

दरअसल, पुष्कर सिंह धामी ने ग्रास रूट लेवल से राजनीति में कदम रखा था। अपनी मेहनत और जनसेवा के बूते वह कदम आगे बढ़ाते चले गए। उनको जन सरोकार और जन सम्मान की बारीक समझ है। यही वजह है कि धामी अत्यंत सहज व सरल व्यक्तित्व के धनी हैं। वीआईपी कल्चर से वह दूर रहते हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनमें इतनी आत्मीयता है कि उत्तराखण्ड का कोई भी आम नागरिक उनसे उनके मोबाइल पर सीधे संपर्क कर अपनी समस्या को बिना किसी संकोच बता सकता है। मुख्यमंत्री धामी भी मोबाइल से ही तत्काल अधिकारियों को निर्देश देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि जनसमस्या का त्वरित निराकरण हो।

मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिलते ही धामी ने सादगी के साथ जनसेवा को अपना मूलमंत्र मानते हुए अपने काफिले में वाहनों की संख्या को कम कराया ताकि सीएम काफिले के गुजरने के दौरान सड़कों पर यातायात कम से कम प्रभावित हो और फिजूलखर्ची भी रूके। किसी भी स्थिति में एम्बुलेंस एवं फायर बिग्रेड को नहीं रोकने के निर्देश मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने दिए।

इतना ही नहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री निवास में गृहप्रवेश के लिए उन्होंने कोई विशेष तामझाम नहीं किया और न ही मुख्यमंत्री निवास में विशेष बदलाव कराया गया। चुनाव होने के बाद मंत्रियों के बंगले में जहां करोड़ों रूपए खर्च कर सर्वसुविधायुक्त बनाने में विशेष ध्यान दिया जाता है, वहीं मुख्यमंत्री निवास में केवल जरूरी मरम्मत, रंगरोगन का कार्य किया गया।

मुख्यमंत्री निवास में किसी भी प्रकार का कोई इंटिरियर डेकोरेशन नहीं किया गया। मुख्यमंत्री धामी का स्पष्ट निर्देश था कि निवास में केवल साफ-सफाई और अतिआवश्यक मरम्मत कार्य ही किया जाए। मरम्मत में किसी प्रकार की फिजूल खर्ची न की जाए। यह उनकी सादगी का प्रत्यक्ष उदाहरण है। धामी ने पिथौरागढ़ मे आयोजित जनसभा को कुमाऊंनी भाषा में सम्बोधित किया।

विभिन्न अवसरों पर ठेठ कुमाऊंनी में बात करना उनकी अपनी मातृभाषा और उत्तराखण्ड की संस्कृति के प्रति सम्मान को व्यक्त करता है। मुख्यमंत्री जी का ये व्यवहार निश्चित रूप से उत्तराखंड की लोक संस्कृति को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति देने का काम कर रहा है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.
error: Content is protected !!