Thursday , 13 March 2025
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उत्तरकाशी: रिटायर फौजी की रूह कंपाने वाली दास्तां, पत्नी बनी जान की दुश्मन, दंग रह जाएंगे आप

...क्या कभी आपने सोचा है कि संपत्ति और दौलत के लिए कोई कितना गिर सकता है? हम आपको ऐसी की एक सच्ची दास्तान बताने जा रहे हैं। एक ऐसी दास्तां जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी। आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि क्या कोई पत्नी ऐसा भी कर सकती है। जो पति उसे दुनिया की हर खुशी देने के लिए देश की सीमाओं की सुरक्षा में हर पल दुश्मनों की बंदूक की नाल के सामने भी बेफिक्र होकर ड्यूटी देता रहा। वही पत्नी रिटायर फौजी पति की जान की दुश्मन बन गई।

पत्नी ने अपने पति की संपत्ति हड़पने के लिए उसको नशा मुक्ति केंद्र के ऐसे दलदल में धकेल दिया, जहां वह हर पल मौत से लड़ता रहा। किसी तरह रिटायर फौजी को उसके भाइयों ने नशा मुक्ति केंद्र के नर्क से बाहर निकाला। राजधानी देहरादून के नशा मुक्ति केंद्रों का हाल किसी से छुपा नहीं है। इन केंद्रों में से कुछ में लोगों की जानें तक जा चुकी हैं।

यह दास्तां उस फौजी की है, जिसने हमेशा बंदूक की नोक पर रहकर अपनी पत्नी और बच्चों को हर वो सुख दिया, जो दे सकता था। लेकिन, संपत्ति के लालच में अंधी हो चुकी पत्नी उसकी जान की दुश्मन बन गई। रिटायर फौजी की ये दर्दनाक कहानी आपकी भी रूह कंपा देगी। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, एक रिटासर फौजी की सच्ची कहानी है।

बड़कोट तहसील के कुणिंडा गांव का दर्मियान सिंह सेना थे। रिटायरमेंट के बाद कुछ दिन को सबकुछ ठीक रहा। लेकिन, कुछ दिनों बाद उनकी जिंदगी में ऐसी उथल-पुथल शुरू हुई, जिसका शायद उनको अंदाजा भी नहीं थी। उनकी जिंदगी में ऐसा बवंडर आया, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

23 मार्च 2022 का दिन उनकी जिंदगी में दर्द ही दर्द लेकर आया। उनकी ऐसी सजा दी गई, जिसका उन्होंने कोई गुनाह भी नहीं किया था। उनकी पत्नी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर दर्मियान सिंह को नशामुक्ति केंद्र के दल-दल में धकेल दिया। नशा मुक्ति केंद्र में उनके साथ बर्बरता की गई। उनको यातनाएं दी गई। दर्मियान सिंह की मानें तो उनको अपने आंखों के सामने कई बार मौत नजर आई। लेकिन, हर बार मौत के मुंह से बाहर निकल आए।

दर्मियान सिंह नशा नहीं करते हैं। उनका कहना है कि उनकी पत्नी नशामुक्ति केंद्र में रखकर किसी तरह से उसको नशेड़ी घोषित करवाना चाहती थी। इतना ही नहीं, नशामुक्ति केंद्र में दवाइयां और इंजेक्शन देकर उनकी हत्या कराने की योजना भी थी। उनको ऐसी दिए जा रहे इंजेक्शनों के कारण शरीर दुबला हो गया। हालत इतनी खराब हो गई थी कि खड़ा होना भी मुश्किल था।

उनका कहना था कि पत्नी रीना ने नशा केन्द्र से बाहर निकालने की एक शर्त तक रखी कि पहले देहरादून का मकान और जमीन उसके नाम कर दे, उसके बाद उसे बाहर निकलवा देगी। यह बातें बताते हुए दर्मियान सिंह की आंखें भर आती है। कहते हैं कि उनके सामने दो रास्ते थे। या तो मौत को गले लगा ले या सारी संपत्ति पत्नी के नाम कर दे। आखिरकार नशामुक्ति केन्द्र से ही उसे विकासनगर रजिस्ट्री करवाने के लिए लाया गया। नशे का इंजेक्शन देकर उनकी सारी संपत्ति छीन ली गई। सर्विस के डॉक्यूमेंट, एटीएम कार्ड, बैंक पासबुक और अन्य सभी कागजात भी उनसे छीन लिए गए।

इस दौरान उनको बड़कोट और हिमाचल के दो साथी मिले, जिन्होने उनकी मददद की। हिमाचल के साथी ने किसी तरहर से उनकी बहन के घर पहुंचकर पूरी आपबीती बताई। उसके बाद गांव से मां और भाई खोज में पहुंचे। मां के लिए उसकी संतान सबसे प्यारी होती है। बेटे की जिंदगी के लिए मांग उसकी पत्नी के सामने गिड़गिड़ाई। पैर पकड़े, लेकिन संपत्ति के लालच में अंधी हो चुकी पत्नी ने किसी की एक नहीं सुनी। पुलिस के पास गए। पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। भाइयों और मां ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास करते रहे।

दोनों भाइयों ने वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी सुनील थपलियाल से सम्पर्क किया। सुनील थपलियाल ने मुख्यमंत्री कार्यालय में मामले की जानकारी दी। सीएम कार्यालय के पीएस भूपेंद्र भसेड़ा और युवा नेता गोपाल डोभाल को जानकारी दी गई। 16 जनवरी 2023 को सीएम कार्यालय से नशामुक्ति केन्द्र के पास की कोतवाली को कार्रवाई के निर्देश दिए।

इसको लेकर जमकर हंगामा भी हुआ। कई युवा नशा मुक्तिकेन्द्र पहुंचे। वहां खूब हंगामा भी हुआ। पुलिस के हस्तक्षप के बाद उनको भाइयों के हवाले कर दिया गया। रिटायर फौज के दर्द की कहानी यहीं पर समाप्त नहीं हुई। गांव में छह महीने के रहने के बाद दर्मियान सिंह पूरी तरह से ठीक हो गए। लेकिन, अभी कुछ और हाना बाकी थी।

उनका कहना है कि आर्मी ईएमई युनिट में देश की सेवा के दौरान कई संघर्ष रहे। कहते हैं कि अगर आप भी देश पर अपनी जान कुर्बान करनी पड़ी, तो एक पल गंवाए बगैर अपने प्राण बलिदान कर देंगे। लेकिन पत्नी ने जिस तरह से बाहरी लोगों के साथ मिलकर उनके खिलाफ साजिश रची। वउसे बारे में जब भी सोचता हूं, आंखें भर आती हैं। उन्हांेने बताया कि धोखे से मेरी संपत्ति हड़पने के मामले में विकासनगर न्यायालय मेें कार्रवाई चल रही है।

इस बीच कुछ ऐसा हुआ, जिसका उनको अंदेशा था। विकासनगर न्यायालय में पेश होने गया। कोर्ट परिसर से बाहर आया तो पत्नी ने नशामुक्ति केन्द्र के छह लोगों से उसे जबरन वाहन मेें डालने का प्रयास किया। उनके साथ मारपीट की गई। पत्नी के साथ आए दबंगों ने उसका फोन गाड़ी से बाहर फेंक दिया। उसके बाद एक आदमी ने हर्बटपुर पुलिस चौकी को जानकारी दी। पुलिस ने सतर्कता दिखाते हुए सभी को चौकी बुला लिया। वहां पर फौजी के भाईयों ने हस्तक्षेप करते हुए किसी तरह उसे उसकी पत्नी के चुंगल से छुड़वाया। पहली बार पुलिस ने भी मदद की।

फौजी दर्मियान का आरोप है कि पत्नी रीना उसकी हत्या करवाने की मंशा से आज भी उसका पीछा कर रही है। इस कारण हर पल उसकी जान को खतरा है। लिहाजा उसे उसकी पत्नी से बचाया जाय। दर्मियान की पत्नी रीना का कहना है कि मेरा पति नशे की हालत में आये दिन मारपीट करता था, जिसके बाद उसे नशा केंद्र भर्ती करवाना पड़ा। अब वह अपने भाईयों के पास है। हम चाहते हैं किवह प्यार प्रेम से हमारे साथ रहे। बैंक का लोन भी देना है। वह बच्चों की पढ़ाई भी है।

हरबर्टपुर पुलिस चौकी इंचार्ज पंकज कुमार ने बताया कि 26 जुलाई को दोपहर में फौजी दर्मियान को कुछ लोग पत्नी की तहरीर पर नशा केंद्र ले जा रहे थे, जिसका फौजी ने विरोध किया। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और सभी को चौकी लाया गया। पीड़ित दर्मियान ने अपने भाईयों के साथ जाने की बात कही तो उन्हें उनके साथ भेज दिया। उन्होंने बताया कि मामले की जांच चल रही है।

वहीं, पूर्व सैनिक दर्मियान सिंह के भाइयों का कहना है कि अगर उनका भाई नशेड़ी था, तो इसकी जानकारी उनको क्यों नहीं दी गई। छह माह से अधिक समय से वो गांव में हैं। अगर उनको नशे की लत होती तो वो गांव में बगैर नशे के कैसे रह सकते थे। उनका कहना है कि वो केवल संपत्ति हड़पना चाहती है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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