देहरादून: रोडवेज कर्मचारी एक बार फिर से हड़ताल की राह पर हैं। लगातार प्रबंधन के सामने अपनी मांगे रख रहे हैं। लेकिन, उन पर हर बार आश्वासन के बाद कोई कार्रवाई नहीं होती है, जिससे कर्मचारी बेहद नाराज हैं। हड़ताल पर रोक लगाई गई है। एस्मा भी लागू किया गया है, जिसको लेकर निगम के पांच कर्मचारी संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने विरोध का मोर्चा खोल दिया है।
कर्मचारियों ने 31 जनवरी की मध्य रात्रि से प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार व बसों के चक्का-जाम का एलान कर दिया है। संयुक्त मोर्चा ने प्रबंधन से आर-पार की लड़ाई का एलान करते हुए चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पर उचित कदम न उठाए गए तो पूरे प्रदेश में बसों का संचालन ठप कर दिया जाएगा। संविदा-विशेष श्रेणी चालक-परिचालक व अन्य कर्मचारियों के नियमितीकरण एवं अन्य मुद्दों को लेकर कर्मचारी अब सरकार और रोडवेज प्रबंधन से सीधे टकराव में हैं।
पिछले साल पांच सितंबर को रोडवेज प्रबंधन की मांग पर सरकार ने आंदोलन और हड़ताल रोकने के लिए रोडवेज में छह माह के लिए एस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लागू कर दिया था, जो इस साल पांच मार्च तक प्रभावी है। एस्मा के कारण कर्मचारियों के हाथ बंध गए और आंदोलनों पर विराम लग गया। उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के प्रदेश महामंत्री रविनंदन कुमार ने पहल करते हुए कर्मचारी संगठनों का संयुक्त मोर्चा बनाने की कसरत की।
रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद समेत उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन और दो अन्य संगठनों उत्तरांचल परिवहन मजदूर संघ व उत्तराखंड परिवहन निगम एससी-एसटी श्रमिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री को पत्र भेजा गया। पंद्रह दिन तक लगातार बैठकों और बातचीत का दौर चला, जिसके बाद सभी सहमत हो गए।
संयुक्त मोर्चा के तहत गांधी रोड स्थित रोडवेज कार्यालय में बैठक की गई। मोर्चा में इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री रविनंदन कुमार, कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी, संयुक्त परिषद के महामंत्री दिनेश पंत व एससी-एसटी श्रमिक संघ के प्रांतीय संरक्षक रामकिशुन राम को संयोजक बनाया गया। निर्णय लिया गया कि अगर 22 जनवरी तक प्रबंधन ने मांगों को नहीं माना तो 23 जनवरी को टनकपुर मंडल, 24 जनवरी को हल्द्वानी-नैनीताल बस अड्डे व 27 जनवरी को आइएसबीटी देहरादून पर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद 31 जनवरी की मध्य रात्रि 12 बजे से प्रदेशव्यापी हड़ताल शुरू कर दी जाएगी।
प्रमुख मांग
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विशेष श्रेणी और संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए।
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रोडवेज का बस बेड़ा 2000 किया जाए, जिसमें अपनी 1200 बसें हों व अनुबंधित की संख्या 40 प्रतिशत से अधिक न हो।
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रायल्टी योजना के तहत बस संचालन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
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हरिद्वार रोड कार्यशाला की जमीन की एवज में आइएसबीटी का स्वामित्व मिले।
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मृतक आश्रितों को नियमित नियुक्ति दी जाए।
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रोडवेज मुख्यालय का निर्माण रोडवेज के स्वामित्व वाली जमीन पर हो।
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रोडवेज की जमीनों को लीज पर देने व बिक्री की योजना पर रोक लगाई जाए।
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श्रमिक संगठनों के कार्यालय खाली करने के आदेश पर रोक लगाई जाए और श्रम कानूनों के तहत रोडवेज के नए भवनों में उन्हें स्थान दिया जाए।
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प्रत्येक जिले में बस डिपो खोले जाएं व देश व प्रदेश की राजधानी के लिए वहां से बसों का संचालन हो।
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चारधाम यात्रा के तहत सरकार प्रत्येक वर्ष रोडवेज को 400 बसें उपलब्ध कराए। यात्रा के बाद इन बसों को विभिन्न मार्गों पर संचालित किया जाए।
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निगम बोर्ड की बैठक हर माह हो और डग्गामार वाहनों पर रोक लगाई जाए।
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अवैध वाहन संचालन कराने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
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निगम कार्यालय व कार्यशाला में बाहरी स्रोत कर्मचारी न रखे जाएं।
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कर्मचारी बचत एवं ऋण समितियों का लंबित भुगतान तत्काल किया जाए।