काशीपुर: उत्तराखंड में आए दिन अपराध बढ़ता जा रहा है। मामूली बातों पर हत्या, अपहरण और छेड़छाड़ के कई मामले में हर दिन सामने आ रहे हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद जिस तरह से पुलिस लापरवाही बरत रही है। उससे एक बात तो साफ है कि पुलिस का इकबाल खत्म हो रहा है। सरकार का भी पुलिस पर कोई डर नजर नहीं आ रहा है।
CM धामी से लेकर तमाम मंत्री आए दिन कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की चेतावनी देते रहते हैं, लेकिन पुलिस पर उसका कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है। देहरादून में विपिन रावत की हत्या के मामले में यह देखने को मिला था। इतना ही नहीं सीएम आवास की सुरक्षा को लेकर भी पुलिस अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। उससे पहले CM धामी की सुरक्षा में चूक का मामला भी सामने आ चुका है। अब काशीपुर में एक छात्रा के मनचलों के डर से स्कूल छोड़ने का मामला सामने आया है। ऐसे ही कई एनी मामले भी सामने आ चुके हैं। अंकिता हत्याकांड उसका एक बड़ा उदाहरण है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार काशीपुर में छेड़छाड़ की घटना से तंग आकर छात्रा ने स्कूल नहीं जाने का फैसला किया था। मामले की जानकारी लगने के बाद एक दिन पहले यानी रविवार 4 दिसंबर को को एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने छात्रा की काउंसलिंग की। पुलिस से मामले की शिकायत की गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई संज्ञान नहीं लिया। एसडीएफ के सुरक्षा का भरोसा देने के बाद छात्रा और एसके परिजन उसे स्कूल जाने और भेजने के लिए तैयार हो गए हैं।
पड़ोसी युवकों के छेड़छाड़ और गाली गलौज के चलते काशीपुर की एक छात्रा के स्कूल छोड़ने का मामला संज्ञान में आने पर DM युगल किशोर पंत ने SDM अभय प्रताप सिंह को छात्रा की काउंसलिंग करने के निर्देश दिए थे। शुक्रवार को कोतवाली 12वीं कक्षा की छात्रा ने पुलिस से शिकायत की थी। उसमें उसने कहा था कि वह पड़ोस में रहने वाले दो युवकों से बहुत परेशान है और इसके चलते उसने स्कूल जाना छोड़ दिया है।
SDM अभय प्रताप सिंह ने छात्रा के घर जाकर छात्रा और उसके परिवार के सदस्यों की काउंसलिंग की। छात्रा ने बताया कि उसको पिछले दो महीने से पड़ोस के दो लड़के स्कूल आते-जाते वक्त छेड़ते हैं। जिसके चलते वह स्कूल नहीं जा रही है। SDM ने बताया कि हल्का पटवारी और क्षेत्र की पुलिस को पीड़ित छात्रा के घर के आसपास गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
छेड़छाड़ की घटना की पुनरावृत्ति होने पर असमाजिक तत्वों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। SDM की ओर से दिए गए सुरक्षा के आश्वासन पर पीड़ित छात्रा फिर से विद्यालय जाने का राजी हो गई। परिवार द्वारा भी इस पर सहमति जताई गई और छात्रा को स्कूल भेजने का आश्वासन दिया गया।