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कपिल देव रावत, समाजसेवी-टू-भाजपाई, आसान नहीं चुनौतियों को लांघना

बड़कोट: निकाय चुनाव चुनाव में भले ही अभी कुछ समय है, लेकिन निकायों की राजनीति चरम की ओर अभी से बढ़ने लगी है। खासकर नगर पालिका परिषद बड़कोट में इन दिनों नेताओं में भाजपा का दामन थमने की होड़ मची हुई है। पहले कांग्रेस के अतोल रावत BJP में शामिल हुए और कपिल देव रावत ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है।

BJP में शामिल होने मसला नहीं है। सवाल निकाय चुनाव में टिकट की गणित और दावेदारी का है। कपिल देव रावत लंबे समय से सामाजिक कार्यों में जुटे हैं। अब तक उन पर किसी राजनीतिक दल का ठप्पा नहीं थी। लेकिन, अब वो BJP के हो चुके हैं। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अतोल रावत भी टिकट की चाह में BJP में शामिल हुए हैं। माना यह भी जा रहा है कि वो अपनी राजनीति विरासत अपने बेटों में से किसी एक को सौंप सकते हैं।

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जहां तक राजनीति ताकत की बात है, इसमें कोई दोराय नहीं कि अतोल रातव काफी मजबूत हैं। लेकिन, जिस तरह से कपिल देव रावत ने सामजित कार्यों के जरिए लोगों की मदद की। क्षेत्र के कार्यों के लिए सरकारों के चक्कर काटना हो या फिर लोगों के छोटे-बड़े कामों को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटना हो। हर वक्त आगे खड़े नजर आते हैं।

कपिल लगातार लोगों के सुख-दुख में भी हर पल साथ नजर आते हैं। यही कारण है कि कपिल देव रावत जब BJP ज्वाइन करने पहुंचे तो उनके साथ कांग्रेस जुड़े कई लोग भी शामिल थे। कई ऐसे लोग भी थे, जिनका सक्रिय राजनीति से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन वो कपिल के साथ नजर आए। इससे एक बात तो साफ है कि कपिल एक मजबूत विकल्प बनकर उभर रहे हैं।

कपिल ने BJP नेताओं को भी दमदार रैली निकालकर अपनी ताकत दिखा दी है। अब देखना होगा कि कपिल देव रावत लोगों के इस समर्थन को आगे कितना संभालकर रख पाते हैं। यह उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। ताकत दिखाने के बाद यह तो साफ है कि राजनीतिकतौर पर अब उनको और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।

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एक बड़ी चुनौती यह भी है कि आज तक कपिल के किसी राजनीति चश्मे से नहीं देखने वाले लोग उनको राजनीतिक दल के चश्में से दखने लगेंगे। इससे चुनौती और बढ़ जाती है। जब किसी राजनीति दल का हिस्सा हो जाते हैं, तो विरोधी भी सक्रिय हो जाते हैं। उन लोगों पर भी फर्क पड़ता है, जो सामाजिक कार्यकर्ता होने तक खुलकर साथ होते हैं, लेकिन, राजनीतिक दल का ठप्पा लगने के बाद कहीं ना कहीं उनकी सोच में भी बदलाव आता है।

चुनाव के दौरान चीजें और बदलने लगती हैं। कपिल युवा हैं और उनको इन बातों को गंभीरता से सोचने और समझने की जरूरत है। फिलहाल उनका मुकाबला भाजपा में उनके अन्य प्रति़द्वद्वियों से है, जो नगर पालिका चुनाव में टिकट की आस लगाए बैठे हैं। उनके अलावा विरोधी दलों के उम्मीदवार भी अब कमजोरियों को तलाशने लगेंगे। कुलमिलाकर BJP का दामन थामने के बाद अब कपिल की चुनौतियां बढ़ गई हैं। इन चुनौतियों से पार पाने के बाद ही उनकी राह आसान हो पाएगी।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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