नौगांव: उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है। गर्भवती महिलाओं जान हर समय खतरे में रहती है। पुरोला में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। पुरोला अस्पताल से एक प्रसूता को नौगांव अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया, जहां उनकी मौत हो गई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इस तरह की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं।
जानकारी के अनुसार सरनोल गांव की एक प्रसूता महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला से नौगांव के लिए रेफर कर दिया गया। सीएचसी नौगांव में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पीड़िता प्रसव के लिए अपने मायके पुरोला के कंडियाल गांव आई हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार परिजन सुबह करीब करीब साढ़े तीन बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला लाए। यहां चिकित्सकों ने पीड़िता की गंभीर हालत को देखते हुए हायर सेंटर भेजने का सुझाव दिया। परिजनों ने मंगलवार सुबह साढ़े तीन बजे देहरादून के लिए चले। रास्ते में अधिक पीड़ा होने पर परिजन पीड़िता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव ले गए, ज़हां सुबह चार बजे महिला की मौत हो गई।
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महिला के परिजनों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला के चिकित्सकों के सुझाव पर सीएचसी नौगांव में भर्ती कराया गया, जंहा प्रसव पीड़िता की गंभीर हालत के चलते चिकित्सकों ने हायर सेंटर रेफर किया, काफी देर तक 108 का इंतजार किया गया, लेकिन एंबुलेंस काफी देर तक नहीं नहुंची। इस बीच 28 साल की ललिता की मौत हो गई।
एक और मामला पुरोला के खलाड़ी गांव का है। प्रसव पीड़िता काजल को परिजन पुरोला अस्पताल ले गए। जहां अचानक इलाज के दौरान ब्लडिंग होने लगी। परिजन पहले निजी अस्पताल और उसके बाद सरकारी अस्पताल में ले गए। डॉक्टरों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। महिला को देहरादून के प्राइवेट अस्पताल में लाया गया, जहां नवजात की मौ हो गई। महिला का इलाज चल रहा है।
सवाल यह है कि आखिर पुरोला और नौगांव के अस्पताल किस काम के हैं, जब सभी मरीजों को देहरादून ही रेफर करना है। लगातार इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। पिछले कुछ दिनों में ही अस्पलों गर्भवती महिलाओं को बेवजह रेफर करने के कई मामले सामने आ चुके हैं।