देहरादून: फारेस्ट गार्ड भर्ती का विवादों से जैसे नाता ही जुड़ गया है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने 16 फरवरी 2020 को फॉरेस्ट गार्ड भर्ती लिखित परीक्षा कराई थी। इस परीक्षा में ब्लूटूथ डिवाइस से नकल करने की का मामला सामने आया था। उसके बाद जांच बैैठा दी गई थी। जांच में करीब 40 उम्मीदवार दोषी पाए गए थे।
इसके बाद परीक्षा पर संकट आ गया था। इस बीच आयोग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर हरिद्वार के सात केंद्रों पर इस साल 14 फरवरी को दोबारा परीक्षा कराई थी। लेकिन, अब जॉइनिंग से पहले एक बार फिर वन विभाग में आरक्षी भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया है।
दरअसल, यूपी बरेली के कुछ युवा वन निगम मुख्यालय पहुंचे और वन विभाग में आरक्षी पद पर चयनित होने की बात की। उन्होंने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से जारी कॉल लेटर दिखाया भी दिखाए। कर्मचारियों ने इन युवाओं को वन विभाग के राजपुर रोड स्थित मुख्यालय जाने को कहा। युवा जब वन मुख्यालय पहुंचे तो वहां भी इन्होंने नियुक्ति पत्र दिखाए। एक जुलाई को जारी नियुक्ति पत्र में पूर्व PCCF जयराज की मुहर लगी थी। जबकि, जयराज पिछले साल अक्तूबर में रिटायर हो चुके हैं। नियुक्ति पत्रों को देखकर वहां हर कोई हैरान रह गया।
वहीं, मामले में प्रमुख वन संरक्षक राजीव भर्तरी ने कहा कि, हमने जो भर्तियां निकाली थीं, उसके तहत अभी किसी का चयन नहीं हुआ है। मुख्यालय पहुंचे युवाओं के साथ धोखाधड़ी हुई है। इस मामले की जांच करवाई जा रही है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने कहा कि, हम कभी ऐसे पत्र जारी नहीं करते। हो सकता है कि नकल कराने में असफल रहे माफिया ने इस बार यह तरीका अपनाकर युवाओं को ठगा हो। युवा इस तरह के झांसे में ना आएं।
इससे पहले भी नर्सिंग भर्ती सहित कुछ अन्य भर्तियों में भी नौकरी लगाने के नाम पर ऑडियो वायरल हुए, जिनमे पैंसे लेकर सरकारी नौकरी देने का दावा किया गया, हालांकि इन मामलों में भी जांच की बात कही गई, लेकिन बेरोजगारों के साथ ऐसा करने वालों का अब तक कोई पता नहीं है।