देहरादून: आईआरडीए आडिटोरियम में उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान आयोजित किया गया। इस आयोजन में साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को सम्मानित करना हमारा खुद का भी सम्मान है। भाषा संस्थान साहित्य ग्राम बनाएगा, जिसके लिए भूमि आवंटित की जाएगी। सीएम धामी ने कहा कि हमको नवाचार की ओर जाना चाहिए। आने वाले समय में और अधिक कार्य किए जाएंगे। लोक भाषाओं में रचे जाने वाले साहित्य को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड साहित्यकारों की भूमि रही है। कई मूर्धन्य साहित्यकारों ने राज्य का मान बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अपनी लोक भाषा को संरक्षित करने के लिए आम लोगों को भी काम करना चाहिए। अपनी भाषा नई पीढ़ी को सिखानी होगी, तभी लोक भाषा और बोलियों का संरक्षण हो सकेगा।
यूसीसी को लेकर सीएम धामी ने कहा कि यह कानून किसी को टारगेट करने के लिए नहीं बनाया गया है। इस कानून में महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों समेत समाज के सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा रक्षा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश में एक माडल स्टेट की भूमिका में नजर आ रहा है। हमारा प्रयास है कि राज्य सभी क्षेत्रों में अग्रणी बने।
कार्यक्रम के दौरान प्रो. लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’ को सुमित्रानंदन पंत पुरस्कार, देवकीनंदन भट्ट को गुमनामी पंत पुरस्कार, गिरीश सुंद्रियाल को भजन सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. सुरेश ममगाईं को गोविंद चातक पुरस्कार, प्रेम कुमार साहिल को अध्यापक पूर्ण सिंह पुरस्कार, के.ए. खान ‘नदीम बरनी’ को प्रो. उन्वआन चिश्ती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रो. शैलेय को महादेवी वर्मा पुरस्कार, डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी पुरस्कार, डॉ. ललित मोहन पंत को डा. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार और गणेश खुगशाल ‘गणी’ को भैरव दत्त पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस मौके पर भाषा मंत्री सुबोध उनियाल, खजान दास, भाषा संस्थान के सचिव विनोद रतूड़ी, निदेशक स्वाति एस भदौरिया, सामाजिक कार्यकर्ता कवींद्र इष्टवाल समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।