Friday , 22 November 2024
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उत्तराखंड : सरकार ने इस विभाग की दो योजनाओं के बदले नाम, आदेश जारी

देहरादून : सरकार ने ग्राम्य विकास विभाग की दो योजनाओं की नाम बदल दिए हैं। सरकार विभिन्न केंद्र पोषित और राज्य पोषित/ बाह्य सहायतित योजना के माध्यम से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों की आजीविका में सुधार हेतु निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसके तहत विभाग की और से दो योजनाओं के नाम बदल दिये गए। इन योजनाओं में बाह्य सहायतित परियोजना ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की आजीविका में सुधार एवं महिलाओं को उद्यमी बनाये जाने के कार्य किये जा रहे हैं।
 
इसी प्रकार राज्य पोषित योजना रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर द्वारा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमशीलता इकोसिस्टम को विकसित कर, ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों को अपना उद्यम स्थापित करने हेतु प्रारम्भ से अन्त तक प्रशिक्षण, बिजनेस प्लान, बाजार पहुँच, बैंकिंग सुविधा आदि समस्त सहयोग प्रदान करने हेतु कार्य किया जा रहा है।
 
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये थे कि उक्त दोनों योजनाओं का नाम संशोधित किया जाए ताकि उक्त योजनाओं का नाम आम जनमानस द्वारा आसानी से ग्राह्य हो सके और ग्रामीण अंचलों के अधिक से अधिक जनमानस इससे लाभान्वित हो सकें। मा० मुख्यमंत्री जी के निर्देशों के क्रम में उक्त योजनाओं का नाम निम्नानुसार परिवर्तित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
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ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना (REAP) ग्रामीण उद्यमों की स्थापना के उ‌द्देश्य से ग्राम्य विकास विभाग, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत अंतराष्ट्रीय कृषि विकास निधि (IFAD) के वित्त पोषण से बाह्य सहायतित परियोजना 2 जून 2022 को 7 वर्षों हेतु स्वीकृत हुई है। परियोजना का कार्यकाल 31 मार्च 2029 तक है। परियोजना राज्य के 13 जनपदों के सभी 95 विकासखण्डों में कार्य कर रही है।
 
उक्त परियोजना का मुख्य उ‌द्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों की ग्रामीण उद्यम आधारित आजीविका में वृद्धि करना तथा महिला स्वयं सहायता समूहों में उद्यमशीलता का विकास करना है। उक्त परियोजना के अंतर्गत वर्ष 2029 तक निम्नलिखित गतिविधियों को पूर्ण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है
 
• 601 आजीविका संघ/कलस्टर लेवल फैडरेशनों के माध्यम से 5,60,000 ग्रामीण गरीब परिवारों की उद्यम आधारित आजीविका में वृद्धि।
 
• परियोजना क्षेत्र के उद्यमी परिवारों को बैंकों व वित्तीय संस्थानों से रू0 1365.38 करोड़ की ऋण के रूप में वित्तीय सहयोग (Financing) उपलब्ध कराना तथा विभिन्न मूल्य आधारित श्रृंखलों से जोड़कर 30,000 उद्यमों की स्थापना करायी जायेगी।
 
• बेस लाइन में प्राप्त आँकड़ों के सापेक्ष परियोजना के प्रयासों से प्रत्येक लाभार्थी परिवार की आय में 70 प्रतिशत की वृद्धि करना।
 
• 30 प्रतिशत पलायन वापसी (Returnee Migrant) परिवारों के विभिन्न मूल्य आधारित श्रृंखलाओं से जोड़कर उद्यम स्थापित करना।
 
50 प्रतिशत लाभार्थियों Practices/Technology अभिकरण।
 
द्वारा Environmentally Sustainable and Climate Resilient
 
• 70 प्रतिशत ग्रामीण उद्यमियों की आय में वृद्धि कराना।
 
• 26 किसान उत्पादक संगठन (FPO) का गठन कर ग्रामीण उत्पादों के विक्रय के चैनल स्थापित करना ।
 
• 10,000 अति गरीब परिवारों को आय अर्जक गतिविधियों Ultra poor package से लाभान्वित करना।
 
• 80 प्रतिशत ग्रामीण उत्पादक संगठनों का संगठनों (CLF/FPOs) को आर्थिक रूप से लाभ कलस्टर लेवल फेडरेशन / किसान उत्पादक प्रदान कर सशक्त होने में सहयोग करना।
 
परियोजनांतर्गत कुल 5,60,000 परिवारों को आच्छादित किये जाने के लक्ष्य के सापेक्ष वर्तमान तक 2,92,041 परिवारों को आच्छादित किया जा चुका है तथा स्वयं सहायता समूहों के 60,000 लक्ष्य के सापेक्ष 30,094 समूहों को आच्छादित किया जा चुका है। उक्त योजनांतर्गत किसान उत्पादक संगठनों, सी०एल०एफ० को शेयर पूंजी वितरण, व्यापार प्लान सहयोग, रिवॉल्विंग फंड, अल्ट्रा पुअर पैकेज, समूह / व्यक्तिगत उद्यम स्थापना हेतु सहयोग आदि कार्य किये जा रहे हैं।

रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर्स योजना -“मुख्यमंत्री उद्यमशाला

 
रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर्स योजना (संशोधित नाम “मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना”) के अन्तर्गत व्यक्तिगत लाभार्थियों के साथ ही राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में गठित सामुदायिक संगठनों / कृषक समूहों / ग्रामीण परिवारों के युवाओं को स्वरोजगार स्थापित करने हेतु सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
 
उद्यम स्थापना हेतु कृषि एवं गैर कृषि क्षेत्र में तकनीकी सहयोग, उद्यमियों को वित्तीय समावेशन में सहयोग तथा उद्यमियों के समस्या निदान और Scalable Business Model चिन्हित करने, जागरूकता एवं क्षमता विकास, स्थानीय उत्पादों के मूल्य संवर्धन, मार्केटिंक आदि सहगामी क्रियाकलापों में सहयोग प्रदान करने हेतु हब एवं स्पोक माडल (Hub and Spoke Model) के आधार पर योजना का कियान्वयन किया जा रहा है। जनपद अल्मोड़ा एवं पौड़ी में एक-एक हब केन्द्रों की स्थापना की गयी हैं तथा शेष अन्य जनपदों में स्पोक स्थापित कर इन्क्यूबेटीज को उद्यम स्थापना में सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
 

ये  सेवायें प्रदान की जाती हैं 

 
  • इन्क्यूबेशन तकनीकी एवं क्षमता विकास प्रशिक्षण प्रदान करना।

  • बिजनेस प्लान तैयार करना।

  • बाजार तक पहुँच एवं लिंकेज उपलब्ध कराना।

  • वित्तीय सेवाओं हेतु पहुँच एवं निवेश के अवसर उपलब्ध कराना।

  • उद्यम विकास हेतु विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ कन्वर्जेस।

  • उद्यम पंजीकरण एवं अन्य विधिक पहलुओं हेतु आवश्यक अनुपालन सहायता।

  • मेंटरशिप सहयोग।

  • मार्केटिंग में सहयोग।

ये मिलते हैं लाभ 

 
योजनान्तर्गत अब तक 4000 से अधिक इन्टरप्राइजेज को इन्क्यूबेशन सहयोग प्रदान गया है, जिसमें NRLM  के अंतर्गत चयनित स्वंय सहायता समूहों के 1218 लखपति दीदी भी सम्मिलित हैं। आगामी 03 वर्षों में लगभग 15000 ग्रामीण उद्यमों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है, जिसके माध्यम 15000 प्रत्यक्ष तथा लगभग 50000 तक अप्रत्यक्ष रोजगार स्थानीय लोगों को उपलब्ध होगा।
 

महिलाओं को ये मदद 

 
इसके अतिरिक्त स्वयं सहायता समूहों के ऐसी महिलाये जो अपना उद्यम स्थापित करना चाहते है अथवा अपने उद्यम को विस्तारित करना चाहते हैं, को भी इस योजना से आच्छादित किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं एवं पुरुष उद्यमियों एवं स्वयं सहायता समूहों की आजीविका में सुधार एवं उन्नयन हेतु मुख्यमंत्री द्वारा निरन्तर समीक्षा की जा रही है तथा सचिव ग्राम्य विकास विभाग द्वारा भी विभागान्तर्गत प्रचलित समस्त योजनाओं का अनुश्रवण किया जा रहा है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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