देहरादून: हरीश रावत ने सोशल मीडिया में एक और पोस्ट लिखी है। उसमें उन्होंनेन लिखा है कि उत्तराखंड कांग्रेस ने मुझे सामूहिकता के लायक नहीं समझा है। यह उसी दिन स्पष्ट हो गया था, जब रुप्रदेश कांग्रेस के नवनिर्वाचित सदस्यों व पदाधिकारीयों की पहली बैठक हुई थी। उस बैठक में मंच से पार्टी के शुभंकर महामंत्री संगठन ने 3 बार नेताओं की जिंदाबाद बुलवाई। कमेटी के सचिवगणों की भी जिंदाबाद लगाई गई, मगर नवनियुक्त कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत को मंच से जिंदाबाद बुलवाने के लायक नहीं समझा गया।
यदि इन बातों को अलग रखकर भी विचार करें, तो भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना पार्टी हित में होगा। प्रदेश में स्थान-स्थान पर जनआंदोलन हो रहे हैं। राज्य में दो प्रमुख पद हैं, उन जनसंघर्षों को कांग्रेस के साथ जोड़ने के लिये आवश्यक है कि अध्यक्ष या नेताऋप्रतिपक्ष वहां पहुंचे और अन्याय व पीड़ितों, जिनमें कांग्रेसजन भी सम्मिलित हैं। उनके मनोबल को बढ़ाएं।
आज हरीश रावत के लिये ऐसा करना संभव नहीं है। हमें युवा हाथों में बागडोर देने के लिये उत्सुक होना चाहिये। पार्टी के भविष्य के लिये जनरेशन चेंज को प्रोत्साहित करना, पार्टी की सेवा है। मैं, अपने को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूं, ताकि अन्य राज्यों और क्षेत्रों में भी यह सिलसिला आगे बढ़ सके। हरीश रावत पिछले कुछ दिनों से लगातार इस तरह की पोस्टें शेयर कर रहे हैं। हालांकि इसके पीछे उनकी क्या सोच है और वो क्यों ऐसा कर रहे हैं। ये समझना उतना आसान नहीं है।