Wednesday , 18 June 2025
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उत्तराखंड : AIIMS में दो साल के बच्चे के दिल का सफल ऑपरेशन, दिया जीवनदान

 

  • दो साल के बच्चे के दिल का सफल ऑपरेशन.

  • लक्षण पैदा होने के पहले दो-तीन महीनों में ही आने लगते हैं.

ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश के हृदय रोग शिशु शल्य चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों ने दो साल के एक बच्चे के दिल का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर बड़ी सफलता हासिल की है। डॉक्टरों के अनुसार दिल की सर्जरी के बाद बच्चा पूरी तरह से खतरे से बाहर है और उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। जल्द ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। एम्स निदेशक प्रो रवि कांत ने सफलतापूर्वक जटिल सर्जरी को अंजाम देने वाली चिकित्सकीय टीम की सराहना की है। मरीजों को एम्स अस्पताल में वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, जिससे किसी भी व्यक्ति को इलाज के लिए राज्य से बाहर के अस्पतालों में नहीं जाना पड़े।

 

दो साल के बच्चे के दिल का सफल ऑपरेशन

एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिककॉर्डियो थोरेसिक सर्जन डा. अनीष गुप्ता ने बताया कि कुमाऊं मंडल के उधमसिंहनगर निवासी एक दो साल के बच्चे के दिल का सफल ऑपरेशन कर उसे नवजीवन दिया गया है। यदि वक्त रहते उसके दिल के छेद की सर्जरी नहीं हो पाती तो, धीरे धीरे बच्चे का शरीर नीला पड़ना शुरू हो जाता और फिर ऐसी स्थिति में उसकी सर्जरी भी नहीं हो पाती।जिससे उसका जीवन खतरे में पड़ सकता था। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण मरीज को उपचार नहीं मिल पा रहा था व उसके उपचार में अनावश्यक विलंब हो रहा था,जिससे उसके फेफड़ों में प्रेशर बढ़ गया था।

 

 

बच्चे की हाई रिस्क सर्जरी

पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजी की प्रो. भानु दुग्गल व डा. यश श्रीवास्तव ने उसकी एंजियोग्राफी की,जिसमें पता चला कि बच्चे की सर्जरी हाई रिस्क है। मगर पीडियाट्रिक कॉर्डियो थोरेसिक सर्जन ने बड़ी सूझबूझ से उसके जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया और बच्चे का जीवन बच गया। इस कार्य में संस्थान के कॉर्डियो एनेस्थिसिया के प्रोफेसर अजय मिश्रा ने अपना सहयोग दिया।

 

 

 

 

हार्ट लंग मशीन चलाकर मरीज को सहारा

सीटीवीएस विभाग के डॉ. अंशुमन दरबारी और डॉ. राहुल व नर्सिंग विभाग के केशव कुमार और गौरव कुमार ने भी सर्जरी करने वाली टीम को सहयोग प्रदान किया। जबकि सीटीवीएस विभाग के परफ्यूजनिस्ट तुहिन सुब्रा व सब्री नाथन ने सर्जरी के दौरान हार्ट लंग मशीन चलाकर मरीज को सहारा दिया। डा. अनीष के अनुसार डाउन सिंड्रोम में बच्चे के फेफड़े भी कमजोर होते हैं, जिससे सर्जरी में अधिक खतरा रहता है। चार घंटे चली इस सर्जरी में टीम को सफलता मिली व इसके बाद बच्चे को दो दिनों तक आईसीयू में रखा गया। उन्होंने बताया कि अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है व उसे सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। जल्द ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

 

VSD बीमारी के लक्षण

चिकित्सकों के अनुसार वेंट्रिकुलर सैप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) दिल में छेद क बीमारी बच्चों में पैदायशी ही होती है। बच्चों में इस बीमारी के लक्षण पैदा होने के पहले दो-तीन महीनों में ही आने लगते हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित बच्चों में पैदा होने के बाद से ही निमोनिया, खांसी, जुकाम, बुखार, वजन का न बढ़ना, छोटे बच्चे को दूध पीने में कठिनाई होना, माथे पर पसीना आना व बच्चे के बड़े होने पर खेलने कूदने में थकान महसूस करना व सांस फूलना आदि लक्षण पाए जाते हैं। इस बीमारी में सर्जरी बच्चे के पहले एक साल अथवा दूसरे वर्ष में ऑपरेशन नितांत रूप से कराना जरुरी है। ऐसा नहीं करने पर चार वर्ष के बाद बच्चे के फेफड़ों पर प्रेशर काफी बढ़ जाता है,लिहाजा उनकी सर्जरी में हाई रिस्क होता है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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