Sunday , 9 February 2025
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उत्तराखंड : पढ़ें गुणानंद जखमोला की LIVE…रिपोर्ट, रात 11 बजे कैसे थे ISBT के हाल…?

  • ISBT की हालत और हालात दोनों बदलने की जरूरत.

  • प्लेटफार्म पर गश्त, पार्किंग की सुरक्षा अब भी रामभरोसे.

  • गुणानंद जखमोला 
रात लगभग 11 बजे। देहरादून ISBT। मुख्य गेट पर ही रोशनी का उचित प्रबंध नहीं है। बरसात से जमा पानी और कीचड़ से फिसलन है। प्लेटफार्म तक जाने के लिए निकासी वाली साइड पर बैरिकेडिंग की गयी है और दो बैरिकेड के बीच रस्सी लगाई गयी है, लेकिन अंधेरा होने पर वह रस्सी नजर नहीं आ रही। प्लेटफार्म 46 से लेकर 29 तक खूब रौनक है, क्योंकि यहां दिल्ली के लिए वोल्वो और अन्य बसें रात 11 बजे तक उपलब्ध रहती हैं। लेकिन, इसके बाद यानी 28 से 23 तक कम और इसके नीचे के प्लेटफार्म पर तो इक्के-दुक्के लोग नजर आए।
 

12 नंबर प्लेटफार्म तलाशने लगा

प्लेटफार्म नंबर-11 के पास पहुंचा तो 12 नंबर प्लेटफार्म तलाशने लगा। 12 नंबर का प्लेटफार्म दर्शाया ही नहीं गया है। दरअसल, यही वह प्लेटफार्म है जहां 12 और 13 अगस्त की रात को पांच दरिंदों ने उस अबोध किशोरी को वहशीपन का शिकार बना कर छोड़ दिया था। 10, 11, 12 नंबर प्लेटफार्म हरियाणा और चंडीगढ़ की बसों के लिए हैं। 12 नंबर प्लेटफार्म पर चंडीगढ़ टी स्टाल है।
 

लगभग एक साल का बच्चा मिला

इस बीच यहां प्लेटफार्म पर लगभग एक साल का बच्चा मिला। उसके आसपास कोई नहीं था। वहां दो गार्ड थे। मैंने उनसे पूछा तो बोला कि इसकी मां फोन पर बात कर रही है और पिता नशेड़ी है। ये उत्तरकाशी की हैं। उसकी पत्नी उसे छुड़ाने आई है। जब देर तक कोई नहीं आया तो गार्ड गिरधारी उसके पिता को खींचता हुआ लाया। उसका पिता बेशर्मी से बोेला, कि यहां सब कोई तो हैं।
 
प्लेटफार्म पर बदहाल देखा
बता दूं कि यह गार्ड गिरधारी वही है, जिसने उस घटना के बाद जब उस किशोरी को प्लेटफार्म पर बदहाल देखा तो चाइल्ड हेल्पलाइन पर फोन किया। गिरधारी के अनुसार वह भूखी प्यासी थी। वोल्वो बसों का संचालन करने वाले विनोद बताते हैं कि उस रात को वोल्वो के एक कंडक्टर ने उस किशोरी को पानी की बोतल दी। हाथ में कुपोषित लाठी लिए गिरधारी कहता है कि उसने उस लड़की को पूछा था तो उसने बताया कि ‘अंकल ने उसके साथ गंदा काम किया‘।
 

गैंगरेप प्लेटफार्म पर नहीं हुआ

गिरधर मुझे बताता है कि गैंगरेप प्लेटफार्म पर नहीं हुआ। पार्किंग या बाहर हुआ होगा। यहां लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं है। हाईमास्ट लाइट भी दो ही जल रही हैं। लगभग 9 एकड़ में फैले इस बस स्टैंड में MDDA और स्मार्ट सिटी ने भी बड़े कैमरे लगाए हैं, लेकिन पार्किंग और पीछे की साइड अंधेरा ही है। कुछ जगह रोशनी है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। गिरधर बताता है कि अब पुलिस गश्त भी बढ़ गयी है। वह कहता है कि पार्किंग में सैकड़ों बसें होती हैं। ऐसे में कैसे पता चलेगा कि बस में क्या होे रहा है।
 
 

गार्ड को एक डंडा भी नहीं दिया गया

ISBT परिसर में दो अन्य गार्ड सोनू यादव और मनोज भट्ट भी मिले। उनके अनुसार 12 घंटे की डयूटी है। मजेदार बात यह है कि इन गार्ड को एक डंडा भी नहीं दिया गया है और ना ही ही टार्च। ISBT की देखभाल पहले रेमकी करता था, अब एमडीडीए कर रहा है। रेमकी के प्रोजेक्ट मैनेजर रहे मेजर बीएस नेगी बताते हैं कि यह परिसर असमाजिक तत्वों का अड्डा है। रात होते ही यहां शराबी और नशेड़ी आ जाते हैं। इसके अलावा यहां की हालत और हालात बदलने की जरूरत है।
 

जिन ड्राइवर-कंडक्टर पर भरोसा…

जिन ड्राइवर-कंडक्टर पर भरोसा कर बस में 40 से 50 यात्री सफर कर रहे होते हैं, वहीं, यदि वहशी दरिंदे बन जाएं तो फिर रात को महिलाएं बसों में सफर कैसे करेंगी? उन वहशी दरिंदों से यह नहीं हो सका कि उसे अंबाला जाने का ही किराया दे देते या उसे खाने के लिए पैसे दे देते। देवभूमि के लोगों को शर्मसार कर गयी। 12 और 13 अगस्त के बीच की रात को घटी दरिंदगी में इंसानियत भी तार-तार हो गयी।
 
(गुणांनद जखमोला जी वरिष्ठ पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सेवाएं दे चुके हैं। उत्तरजन टुडे पत्रिका सफल संचालन कर रहे हैं। डीडी न्यूज में बतौर एएनई सेवाएं दे रहे हैं। उत्तराखंड में पत्रकारिता की सबसे मुखर आवाज हैं।)

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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