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डाॅक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है।
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सड़क पर मलबा अधिक होने के कारण सड़क नहीं खुल पाई।
पिथौरागढ़ : डाॅक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। कई बार डाॅक्टर उनको मिले इस तमगे को साबित भी कर चुके हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला पिथौरागढ़ में सामने आया है। ऐसा मामला जहां मरीज को बचाने के लिए डाॅक्टरों ने अपनी जान को ही दांव पर लगा दिया। मरीज को बचाने के लिए खुद मरीज को कंधे पर उठाया और पहाड़ी से गिरते पत्थरों के बीच पहले एंबुलेंस तक पहुंचाया और फिर वहां से अस्पताल लोकर मरीज का इलाज किया।
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लेकिन, इन पूरे घटक्रम के दौरान सड़क चौड़ीकरण करने वाली निर्माण एजेंसी विलेन साबित हुई। उसने ना तो जिला प्रशासन की बात मानी और ना ही जिले के सीएमओ के फोन करने के बाद बंद सड़क को खोलने की जहमत उठाई। सड़क चौड़ीकरण कर रही निर्माण एजेंसी की लापरवाही और सुस्त चाल लोगों पर भारी पड़ रही है। गुरना के पास चौड़ीकरण के काम के चलते पिथौरागढ़-घाट सड़क के बंद हो है। इसके चलते पैरालिसिस का मरीज करीब पांच घंटे तक सड़क पर ही तड़पता रहा। परिजन कार्यदायी संस्था से सड़क खोलने की गुहार लगाते रहे लेकिन निर्माण एजेंसी ने मलबा ज्यादा होने से सड़क जल्द खोलने से मना कर दिया। मजबूरन लोगों ने जान हथेली पर रखकर मरीज को आगे ले जाने का फैसला किया।
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बाद में परिजनों ने सीएमओ से संपर्क किया तब जाकरएंबुलेंस और डॉक्टरों की टीम को मौके के लिए रवाना किया गया। करीब आधा किमी पैदल चलकर डॉक्टरों ने सड़क किनारे ही मरीज का इलाज किया। परिजनों और डाॅक्टरों की टीम ने पहाड़ी से गिर रहे पत्थरों के बीच मरीज को चादर में लपेट कर आधा किमी दूर खड़ी एंबुलेंस तक पहुंचाया। इसके बाद मरीज को जिला अस्पताल पहुंचाया गया।
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गंगोलीहाट कोठेरा निवासी गोपाल राम को पैरालिसिस अटैक पड़ने के बाद पिथौरागढ़ जिला अस्पताल रेफर किया गया था। परिजन उसे निजी कार से जिला अस्पताल लेकर आ रहे थे। कटिंग के कारण गुरना मंदिर के पास सड़क बंद हो गई। कार्यदायी संस्था से सड़क खोलने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने सुबह आठ से ढाई बजे तक सड़क बंद रखने के आदेश का हवाला देते हुए सड़क को खोलने से इनकार कर दिया।
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CMO डॉ. हरीश पंत ने खुद कार्यदायी संस्था को फोन कर सड़क खोलने के लिए कहा, लेकिन सड़क पर मलबा अधिक होने के कारण सड़क नहीं खुल पाई। मरीज की तबीयत बिगड़ते देख सीएमओ ने डॉ. मोहम्मद इमरान, डॉ. सुभाषनी, स्टाफ नर्स नीलम सिंह और एंबुलेंस चालक दीपक बिष्ट को मौके के लिए रवाना किया। डाॅक्टरों की टीम पहाड़ी से गिर रहे पत्थरों के बीच जान-जोखिम में डालकर करीब आधा किमी पैदल चलने के बाद मरीज तक पहुंची।
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