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गेन्दुकक्षेपकः कन्दुकं उत्तमं क्षिप्तवान्! फलकधारकः तं प्रबलेन प्रहरति! चत्वारः!…क्रिकेट कमेंट्री

देवप्रयाग: क्रिकेट के मैदान में जब गेंद हवा में लहराती है, बल्ला गरजता है, और विकेट बिखरते हैं, तो कमेंट्री बॉक्स से गूंजती आवाजें खेल का रोमांच दोगुना कर देती हैं। लेकिन जरा सोचिए, अगर यह कमेंट्री संस्कृत में हो तो? जी हां, उत्तराखंड के श्री रघुनाथ कीर्ति संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग में इन दिनों क्रिकेट का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। यहां चल रही विश्वविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता में कमेंट्री संस्कृत भाषा में की जा रही है, जो खेल प्रेमियों के लिए एक अनोखा अनुभव लेकर आई है।

संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री का अनूठा प्रयोग

संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री करने की इस पहल के पीछे डॉ. श्रीओम शर्मा का हाथ है। उन्होंने 150 से अधिक नए संस्कृत शब्दों का निर्माण किया है, जिससे क्रिकेट के खेल को शुद्ध संस्कृत में व्यक्त किया जा सके। उनके इस प्रयास को छात्रों ने हाथों-हाथ लिया, और अब कमेंट्री बॉक्स से संस्कृत में उत्साही स्वर गूंज रहे हैं।

“गेन्दुकक्षेपकः कन्दुकं उत्तमं क्षिप्तवान्! फलकधारकः तं प्रबलेन प्रहरति! चत्वारः!”

(गेंदबाज ने शानदार गेंद फेंकी! बल्लेबाज ने जोरदार प्रहार किया! चौका!)

संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री

🔹 स्वागतम् क्रिकेटक्रीडायाः महासंग्रामे!

🔹 अद्य अस्माकं मध्ये अस्ति महत्त्वपूर्णं स्पर्धा!

🔹 गोलकक्षेपकः वेगेन धावति… सः कन्दुकं क्षिप्तवान्!

🔹 फलकधारकः सुदृढेन प्रहरति… अयं चत्वारः! (चौका)

🔹 उच्चं आकाशे गच्छति कन्दुकः… अपि गृहीतः? आम्! गृहीतः! (कैच आउट)

🔹 धवनाङ्कौ अभिवृद्धौ! फलकधारकः धावन्नस्ति! (रन बढ़ रहे हैं, बल्लेबाज दौड़ रहे हैं!)

🔹 अपकन्दुकः! निर्णायकः चिह्नं दर्शयति! (वाइड बॉल)

🔹 पादबाधा! निर्णायकः हस्तं उत्तोल्य संकेतं ददाति! (LBW आउट)

🔹 षट्! अयं महत् आघातः! (छक्का!)

यह नजारा देखकर दर्शक भी रोमांच से भर उठेंगे, क्योंकि यह क्रिकेट और भारतीय परंपरा का अद्भुत संगम है।

18 टीमों के बीच रोमांचक मुकाबला

इस प्रतियोगिता में कुल 18 टीमें भाग ले रही हैं और खास बात यह है कि प्रत्येक टीम में दो छात्राएं भी अनिवार्य रूप से खेल रही हैं, जिससे यह आयोजन और भी समावेशी बन गया है। संस्कृत के साथ-साथ गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा में भी कमेंट्री की जा रही है, जिससे उत्तराखंड की स्थानीय संस्कृति को भी बढ़ावा मिल रहा है।

संस्कृत क्रिकेट: एक क्रांतिकारी पहल

डॉ. शर्मा का उद्देश्य केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं है। वे चाहते हैं कि संस्कृत को एक आधुनिक और उपयोगी भाषा के रूप में देखा जाए। वे कहते हैं, “संस्कृत केवल शास्त्रों की भाषा नहीं, बल्कि जीवन की भाषा भी हो सकती है। अगर यह क्रिकेट की पिच पर गूंज सकती है, तो क्यों न इसे अन्य खेलों और आधुनिक क्षेत्रों में भी अपनाया जाए?”

उनका यह प्रयोग आने वाले समय में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कल्पना कीजिए, जब किसी आईपीएल या अंतरराष्ट्रीय मैच में संस्कृत में कमेंट्री गूंजेगी, तो यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पूरी दुनिया के सामने रखने का सुनहरा अवसर होगा।

संस्कृत में क्रिकेट के रोमांचक शब्द

  • क्रिकेट: पट्टकन्दुकः, बल्लकन्दुकः, कन्दुकक्रीडा
  • बल्लेबाज: फलकधारकः (पु.) / फलकधारिका (स्त्री)
  • गेंदबाज: कन्दुकक्षेपकः / कन्दुकक्षेपिका
  • विकेट कीपर: स्तोभरक्षकः
  • रन: धवनाङ्कः
  • चौका: चत्वारः
  • छक्का: षट्
  • रन आउट: धाविन्नष्टम्
  • कैच आउट: गृहीतः
  • क्लीन बोल्ड: गेन्दितः

संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री, खेल को नई दिशा

संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री की यह पहल यह साबित कर रही है कि यह भाषा सिर्फ ग्रंथों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे आधुनिक खेलों के साथ जोड़ा जा सकता है। जिस तरह संस्कृत में यह कमेंट्री छात्रों और दर्शकों को आकर्षित कर रही है, वह बताता है कि भविष्य में इसे बड़े स्तर पर अपनाया जा सकता है।

इस ऐतिहासिक पहल ने दिखा दिया है कि संस्कृत सिर्फ अतीत की भाषा नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की भी भाषा बन सकती है। जब क्रिकेट के मैदान पर संस्कृत की गूंज उठती है, तो यह एक नया इतिहास लिखने की आहट लगती है— “संस्कृतं नूतनं संजीवनं!” (संस्कृत, नया जीवन है!)

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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