Wednesday , 4 December 2024
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ये है एशिया का सबसे स्वच्छ गांव, नियमों का पालन नहीं करने पर मिलती है ये सजा

मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 90 किमी दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बसे गांव मावलिन्नोंग को एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का तमगा हासिल है। इसकी खूबसूरती से लगता है मानो ये मिनी स्विट्जरलैंड है। बहुत सारे लोग आज इसे ईश्वर की बगिया कहते हैं। लेकिन, मावलिन्नोंग शुरू से ऐसा नहीं था।

25 साल पहले की ही बात है जब गांव में हर सीजन में महामारी फैलती थी। जब रोग फैलते थे तो सबसे ज्यादा चपेट में बच्चे ही आते थे। हर साल कई बच्चों की मौत होती थीं। इससे त्रस्त होकर एक स्कूल शिक्षक रिशोत खोंग्थोरम ने लोगों को स्वच्छता और शिक्षा से जोड़ने का संकल्प लिया। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट का नुसार खोंग्थोरम ने कहा है कि तब हालात बहुत खराब थे। बीमारियों की जड़ गंदगी ही थी। शिक्षक होने के नाते मुझे लगा कि मेरा दायित्व है कि स्वच्छता का ज्ञान फैलाना चाहिए। इस काम में माताओं ने भरपूर सहयोग दिया।

गांव में स्वच्छता-शिक्षा के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए समिति का गठन हुआ। समिति ने ग्रामीणों से पशुओं को बांधने, गंदगी नहीं फैलाने और घर में शौचालय बनाने की प्रेरणा दी। लोगों ने भी इसे जल्द ही मानना शुरू कर दिया। घरों के कूड़ों को एकत्र कर एक स्थान पर पहुंचाया गया। कचरे के लिए कंपोस्ट पिट और बांस के बॉक्स रखे गए, ताकि बाद में रिसाइकिल किया जा सके।

उन्होंने बताया कि लोगों के संकल्प का ही परिणाम था कि कुछ ही वर्षों में इस गांव में स्वच्छता और शिक्षा का फैल गई। 2003 में इसे डिस्कवर इंडिया की ओर से एशिया के सबसे स्वच्छ गांव के तौर पर चिन्हित किया गया था। मावलिन्नोंग में 100 फीसदी लोग साक्षर है। गांव के सभी लोग अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। हिन्दी थोड़ी कम ही समझते हैं।

गांव में ऐसे सभी प्लास्टिक उत्पादों पर रोक है, जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता। धूम्रपान पर भी पूरी तरह प्रतिबंध है। नियम नहीं मानने वालों को भारी जुर्माना देना पड़ता है। 600 लोगों की आबादी वाले इस गांव के खासी जनजाति के लोग स्वच्छता को बहुत गंभीरता से लेते हैं। आज यहां हर घर में शौचालय है। लोग घरों के साथ सड़कों की भी सफाई करते हैं। हर घर के पास बांस से बने कूड़ेदान लगे हुए हैं। परिवार के सभी सदस्य गांव की सफाई में रोजाना भाग लेते हैं। सफाई नहीं करने वाले को घर में खाना नहीं मिलता।

मावलिन्नोंग गांव में बांस से बना 75 फीट ऊंचा द स्काई व्यू टावर है, जहां से बांग्लादेश का शानदार नजारा दिखता है। यहां की ड्वकी नदी का पानी इतना साफ है कि उस पर तैरती नाव को देखकर लगता है कि नाव पानी पर नहीं, हवा में तैर रही है। मावलिन्नोंग की बैलेंसिंग रॉक लोकप्रिय पर्यटक केंद्र है, वहीं लोगों के लिए यह चट्टान हर बला से गांव और उसके लोगों की रक्षा करती है।

पर्यावरण संरक्षण रैंकिंग में ग्रीन कवर बढ़ाने और ठोस कचरे के प्रबंधन के दम पर देश के सभी राज्यों में तेलंगाना अव्वल है और इसी रैंकिंग में राजस्थान आखिरी स्थान पर है। गुजरात दूसरे, गोवा तीसरे, महाराष्ट्र चौथे और हरियाणा पांचवें, हिमाचल प्रदेश सातवें, छत्तीसगढ़ 10वें, झारखंड 13वें, पंजाब 17वें, मध्य प्रदेश 19वें और बिहार 27वें पायदान पर हैं।

हालांकि पहले नंबर पर होने के बावजूद जल निकायों के संरक्षण, भूजल दोहन और नदियों के प्रदूषण के मामले में तेलंगाना की स्थिति संतोषजनक नहीं है। यह जानकारी विश्व पर्यावरण दिवस से एक दिन पहले जारी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की सालाना रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट इन फिगर्स 2023’ में सामने आई है। इसमें चार थीम पर रैंकिंग तय की गई है।

कृषि रैंकिंग में मप्र अव्वल
कृषि रैंकिंग में मप्र अव्वल है। खाद्यान्न उत्पादन व मूल्यवर्धन में राज्य का प्रदर्शन सबसे अच्छा है, लेकिन राज्य की आधा फसल क्षेत्र बीमित नहीं है। इस श्रेणी में छत्तीसगढ़ तीसरे, पंजाब नौंवे, राजस्थान 12वें, बिहार 13वें, महाराष्ट्र 14वें, झारखंड 15वें, हरियाणा 16वें, गुजरात 18वें, हिमाचल 25वें पायदान पर है।

रिपोर्ट में खास

  • पेड़ों की कटाई पर्यावरण क्षरण की एक प्रमुख वजह है।

  • तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा ने अपने वन आवरण में सबसे अधिक वृद्धि की।

  • नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम ने सबसे अधिक वन गंवाया।

  • शहरी सॉलिड वेस्ट के ट्रीटमेंट: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गोवा सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शीर्ष पर, जबकि अरुणाचल, असम और प. बंगाल निचले पायदान पर।

  • सीवेज उपचार: पंजाब, दिल्ली और हरियाणा का सबसे अच्छा प्रदर्शन। बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम खबसे खराब प्रदर्शन वाले राज्य।

  • भूजल दोहन: अरुणाचल, नगालैंड, मेघालय का प्रदर्शन सबसे अच्छा। पंजाब, राजस्थान और हरियाणा की हालत खराब।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

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