Wednesday , 12 March 2025
Breaking News

माया देवी विश्वविद्यालय की बड़ी उपलब्धि, बनाया कमाल का वाटर फिल्टर

देहरादून: जल प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण  समुदायों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। देहरादून स्थित माया देवी विश्वविद्यालय के कृषि एवं प्रौद्योगिकी स्कूल के शोधकर्ताओं ने पाइन नीडल्स पाउडर-आधारित अपशिष्ट जल उपचार उपकरण विकसित किया है, जो कम लागत में पर्यावरण के अनुकूल और सतत समाधान प्रदान करता है। यह नवाचार न केवल जलजनित बीमारियों को रोकने में मदद करेगा, बल्कि वन क्षेत्रों में गिरने वाली पाइन नीडल्स का भी सार्थक उपयोग करेगा, जिससे वनाग्नि के खतरे को कम किया जा सकेगा।


कैसे काम करता है यह उपकरण ?

शोधकर्ता एवं डीन डॉ. हिमांशु सैनी ने बताया कि यह अत्याधुनिक उपकरण पाइन नीडल्स पाउडर का उपयोग करता है, जो एक प्राकृतिक और जैव-अवक्रमणीय (बायोडिग्रेडेबल) पदार्थ है। यह अपशिष्ट जल में मौजूद हानिकारक रसायनों और अशुद्धियों को अवशोषित कर पानी को शुद्ध करने में मदद करता है। महंगी जल शुद्धिकरण प्रणालियों के विपरीत, यह उपकरण आसान, सस्ता और प्रभावी विकल्प प्रदान करता है, जिससे गांवों में रहने वाले लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।

  • डॉ. हिमांशु सैनी


जलजनित बीमारियों की रोकथाम

गंदे और दूषित पानी की वजह से ग्रामीण इलाकों में डायरिया, कॉलरा, टाइफाइड और अन्य जलजनित रोगों का खतरा बना रहता है। इस नवाचार से स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे इन बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी।

पेटेंट से सुरक्षित हुआ अनूठा डिज़ाइन

इस उपकरण को रजिस्टर्ड डिज़ाइन्स अधिनियम 1949 के तहत पेटेंट कराया गया है ताकि इसके अनूठे डिज़ाइन की प्रतिलिपि या पुनरुत्पादन न किया जा सके। पेटेंट प्रक्रिया को पूरा करने में करीब एक वर्ष का समय लगा। यह शोध और डिजाइन डॉ. निशा शर्मा, डॉ. हिमांशु सैनी, डॉ. हृतिक श्रीवास्तव, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. हिमांशु मेहता, डॉ. शिवानी शर्मा, डॉ. तरुण राठौड़ ने किया है। डिज़ाइन “पाइन नीडल पाउडर-आधारित अपशिष्ट जल उपचार उपकरण” के अनुप्रयोग के संदर्भ में पंजीकृत की गई है।

वनाग्नि की रोकथाम में मदद

पहाड़ी राज्यों में पाइन नीडल्स (चीड़ की सूखी पत्तियां) के गिरने से हर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं होती हैं। यह उपकरण इन पत्तियों का पुनः उपयोग कर उन्हें जल उपचार प्रक्रिया में शामिल करता है, जिससे वनाग्नि का खतरा भी कम होगा और पर्यावरण संतुलन बना रहेगा।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

इस उपकरण के निर्माण, रखरखाव और संचालन में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। इसका सरल और सुगम संचालन इसे आम ग्रामीण नागरिकों के लिए उपयोगी बनाता है, जिससे वे इसे आसानी से नियंत्रित और मेंटेन कर सकते हैं।

ग्रामीण भारत के लिए नई क्रांति

माया देवी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का यह नवाचार जल प्रबंधन में नई संभावनाएं खोलता है। यह तकनीक गांवों में पानी की समस्या को दूर करने, स्वास्थ्य सुधारने और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देने का एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।

About प्रदीप रावत 'रवांल्टा'

Has more than 19 years of experience in journalism. Has served in institutions like Amar Ujala, Dainik Jagran. Articles keep getting published in various newspapers and magazines. received the Youth Icon National Award for creative journalism. Apart from this, also received many other honors. continuously working for the preservation and promotion of writing folk language in ranwayi (uttarakhand). Doordarshan News Ekansh has been working as Assistant Editor (Casual) in Dehradun for the last 8 years. also has frequent participation in interviews and poet conferences in Doordarshan's programs.

Check Also

Pakistan Train Hijack: BLA ने मार गिराए आर्मी के 30 जवान, 100 से ज्यादा बंधक रिहा

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में (Pakistan Train Hijack) एक बड़ा आतंकी हमला सामने आया है, …

error: Content is protected !!